फोर्स से नक्सलवाद खत्म नहीं होगा:सोनी

सोनी सोरी और वरिष्ठ पत्रकार रमेश कुमार ‘‘रिपु’’

रायपुर।

  • बंदूक की नोक पर ग्राम सभाएं होती है
    तो नक्सली बन जाते हैं..

‘‘छत्तीसगढ़ में माओवादी हैं,तो सुरक्षा बल है। सुरक्षा बल है,तो सोनी सोरी की आवाज़ है। जो वर्दी से उभरने वाली दरिंदगी के खिलाफ़ गूंजती है। आदिवासी नेत्री सोनी सोरी कहती हैं फोर्स के दम पर नक्सलवाद खत्म नहीं होगा। जब तक आदिवासियों पर अत्याचार होगा नक्सल समस्या घटने की जगह बढ़ेगी। लोन वार्राटू से नक्सलाद कमज़ोर नहीं होगा। यह तो नक्सलियों की संख्या बढ़ाने का हथकंडा है।

सोनी सोरी कहती हैं,छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से आदिवासियों के साथ ज्यादा अत्याचार होने लगा है। पेसा कानून की बात की जाती है लेकिन, उसे अमल में नहीं लाया जाता है। ग्राम सभा होनी चाहिए। पर होती नहीं। मैं मानती हूूॅ कि, सीआरपीएफ के कई कैंप लगे हैं,नक्सलियों से मुक्ति के लिए। सवाल यह है, कि जब कैंप लगे हैं,तो फिर आदिवासियों के साथ जुल्म,अत्याचार क्यों होता है? महिलाओं के साथ अनाचार क्यों होता है? आदिवासियों को नक्सली बताकर बार-बार जेल क्यों भेजा जाता है? सरकार सोचती है, कि ऐसा करने से नक्सलवाद खत्म हो जाएगा,तो गलत सोचती है। आदिवासी परेशान होकर कहता है, जब झूठे तरीके से नक्सली बताकर जेल में डाला जा रहा है,तो नक्सली ही बन जाते हैं।

पुलिस बल के जरिये सरकार जो कर रही है,उससे नक्सलवाद खत्म नहीं हो सकता। लड़ाई यहांँ जल,जमीन और जंगल की है। न कि नक्सलियों की लड़ाई है। सच्चाई यह है कि बस्तर के पेड़ जंगल मिट्टी खतरे में है। सरकार की नीतियाँं आदिवासियो के हित में नहीं है। सरकार पेसा कानून को अमल में तो लाए। बंदूक के नोक पर ग्राम सभा होती है। पेसा कानून में बाहर के लोग नहीं आ सकते। लेकिन पुलिस बंदूक के दम पर लोगों से अंगूठा लगवाती है। महिलाओं के साथ होने वाले अनाचार और जुल्म को रोकने सरकार क्या कर रही है,यह तो बताये? आदिवासियों को नक्सली बताकर गोली मारने का सिलसिला थम नहीं रहा है। ऐसे में नक्सलावाद कैसे खत्म होगा..?
नक्सलवाद खत्म कैसे होगे इसका जवाब शायद भूपेश सरकार के पास भी नहीं है। यदि होेता तो अब तक नक्सल नीति बना चुके होते हैं।

रमेश कुमार ‘‘रिपु’’

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here