गीत
आज फिर तुम पर मैने गीत लिखा ।
और अक्षर अक्षर चूम लिया ।।
हम तुम इतनी दूर हुए की ..
स्पर्श तुम्हारा कर नहीं पाते ।
पर एहसासों में तुमको मैंने महसूस किया ।।
मैंने अपनी राहों के हर पत्थर को चूम लिया ।
एहसासों के हर पल को अब मैंने सहेज लिया ।।
तुम इतनी दूर धरा से नभ मे जाकर मिल गए ।
मैंने धरती को सहलाया और अम्बर को चूम लिया ।।
मैंने तुमको याद किया और ख्वाबों में तुम को देख लिया
मैंने तुम पर गीत लिखा और अक्षर अक्षर चूम लिया ।।
मैं क्या जानू मंदिर मस्जिद गिरजाघर गुरुद्वारा
मैंने ईश्वर की हर मूरत को तुममें ही महसूस किया।।
मैंने पहली बार तुम्हारा यह रूप भी देख लिया
मैंने अपने हर दिल की बात इन गीतों में लिख कर
अक्षर अक्षर चूम लिया। ।
मेरी आंखों में देख आकर
हसरतों के नक्शे ख्वाबों में भी फिर से मिलने की फरियाद करते हैं।।
तेरे जाने से मोहब्बत कम नहीं होती
दिन पर दिन खूबसूरत होती जाती है।।
अपनों के बीच बेगाने हो गए हैं पर सब से अनजान नहीं हुए है ।।
फूल भी क्या कभी वीरान होते हैं तेरी यादों के फूल सदा महकते रहते हैं ।।
आज फिर मैंने तुम पर गीत लिखा और अक्षर अक्षर चूम लिया ।।
कहां गए वह पल सनम जो सिर्फ अपने थे
देखे थे जो हमने मिलकरवह खूबसूरत सपने थे ।।
तुम तो छोड़ चले गए
हमने उनको याद कर सुंदर से गीत लिखे
और अक्षर अक्षर चूम लिया।।
कुछ प्रेम ऐसा भी होता है हाथों में हाथ नहीं होते
पर आत्मा से आत्मा बंधी होती है ।।
समेटती यादों की चादर नहीं हूं मैं एहसासों की चादर में तेरी यादों की सिलवटें अभी बाकी है।।
उन्हें मैं याद कर कर गीत लिखती जाती हूं
लिखना ही अब मेरी दवा बन गया है ।।
अक्षर हकीम का काम करते हैं और यह गीत मेरा हर दर्द हर लेते हैं।।
तुम छिप गए हो छुप जाओ
एक दिन तो हम तुझसे मिलने आएंगे ।।
जब मेरी भी मौत आएगी तेरे सामने रूबरू हो जाऊंगी।।
आज मैंने फिर तुम पर गीत लिखा और ए अक्षर अक्षर चूम लिया ।।
अलका पाण्डेय मुम्बई