नई दिल्ली
कोरोना संक्रमण और उससे बचाव की वैक्सीन को लेकर अभी भी अलग-अलग शोध जारी है। ऐसे ही एक शोध में पता चला है कि फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन कोरोना संक्रमण रोकने में 91 प्रतिशत प्रभावी है। एक अमेरिकी स्टडी में ये सामने आया है कि इन दोनों में से किसी भी वैक्सीन की डोज लेने वाले अधिकतर लोगों को कोविड-19 होने का खतरा नहीं है और यदि वे संक्रमित होते हैं तो उनमें हल्के और कम अवधि तक ही लक्षण होंगे।
जानकारी के मुताबिक, यह स्टडी को महामारी का फ्रंटलाइन वर्कर्स (जैसे, डॉक्टर, नर्स आदि) के बीच संक्रमण के जोखिम और दरों को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया था। शोध में पाया गया कि पूरी तरह से वैक्सीनेटेड यानि दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद, ये दोनों वैक्सीन कोरोना के जोखिम को कम करने में 91 प्रतिशत प्रभावी है। इसके साथ ही यह पाया गया कि पहले डोज के दो हफ्ते बाद वैक्सीन 81 प्रतिशत प्रभावी है। करीब चार हजार लोगों पर की गई स्टडी यह स्टडी अमेरिका में आठ साइटों पर किया गया था। इसमें करीब 3,975 लोगों ने भाग लिया था।
इन लोगों ने 13 दिसंबर, 2020 से 10 अप्रैल, 2021 के बीच 17 सप्ताह के लिए साप्ताहिक आधार पर कोविड -19 टेस्ट के लिए सैंपल दिए थे। कैसे काम करती है वैक्सीन यह रिसर्च 30 जून को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुई है। इस रिसर्च में पहली बार संक्रमित होने वालों में भी mRNA टीके का लाभ बताया गया। आपको बता दें कि फाइजर और मॉडर्ना द्वारा विकसित mRNA टीकों में हमारी कोशिकाओं (Cells) के लिए सार्स-सीओवी -2 की स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए अनुवांशिक(जेनेटिक) निर्देश होते हैं, जिसका उपयोग वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित और प्रवेश करने के लिए करता है।
















