छतरपुर
जिला चिकित्सालय छतरपुर में ब्लड बैंक की स्थापना की गई थी जिसमें जरूरतमंद एवं गरीब मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराया जाता था। बशर्ते शर्त यह भी थी कि ब्लड लेने वाले को अपने किसी परिवार के सदस्य के द्वारा ब्लड डोनेट करना पड़ता था। किंतु ब्लड बैंक में अब निजी अस्पतालों में भी ब्लड बैंक दिया जाने लगा है। जिसको लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अरुणेन्द्र शुक्ला थे उन्हें हटाकर उनकी जगह सीएमएचओ ने आरती बजाज को ब्लड का प्रभारी बना दिया है। मजेदार बात ये है कि ब्लड बैंक सिविल सर्जन के अंडर में रहता है लेकिन ब्लड बैंक का प्रभारी बनाने और हटाने का आदेश सीएमएचओ ने किया। जो कि एक सवाल खड़े करता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अरुणेन्द्र शुक्ला चार तारीख से आठ तारीख के बीच में प्रशिक्षण पर भोपाल गए थे।
इस समय जीएल अहिरवार बल्ड बैंक के टेम्परेजी प्रभारी बनाए गए थे परंतु भाजपा के कुछ छुटभैया नेताओं ने दबाव बनाकर ब्लड बैंक से ब्लड ले लिया और उसके बादले में ब्लड डोनेट भी नहीं किया। मिली जानकारी के अनुसार मिशन अस्पताल में एक मरीज भर्ती था उसके परिवार वालों ने दबाव बनाकर नियमों को ताक में रखकर ब्लड बैंक से ब्लड लिया और यही नहीं ब्लड बैंकके प्रभारी अरुणेन्द्रशुक्ला को भी उनके प्रभार से हटवा दिया। जो कि एक प्रश्र चिन्ह है। छतरपुर के कलेक्टर के द्वारा बनाए गए नियम के अनुसार ब्लड बैंक से ब्लड तभी उपलब्ध होता है जबकि ब्लड लेने वाले मरीज व उसके परिवार के द्वारा किसी भी ग्रुप का ब्लड डोनेट किया जाए। लेकिन उस नियम को ताक में रखकर नियम विरुद्ध तरीके से ब्लड लिया गया।
अगर इसी प्रकार से राजनैतिक दबाव बनायागया तो आने वाले समय में ब्लड बैंक में ब्लड उपलब्ध नहीं होगा। समाजसेवी संगठनों के द्वारा समय समय पर डोनेट किए गए ब्लड का गलत इस्तेमाल होने पर सामाजिक संगठन के लोगों ने इस पर घोर नाराजगी व्यक्त की है। जिला कलेक्टर का ध्यान अपनेक्षित।