नहीं मिली निलंबित डीजीपी को हाईकोर्ट से राहत

बिलासपुर
अपनी गिरफ्तारी के भय से अधिवक्ता के माध्यम से उच्चन्यायालय की शरण लेने वाले निलंबित एडीजी जी पी सिंह याचिका पर आज सुनवाई श्ुारू हुई और उनकी ओर से दायर याचिकाओं पर फिलहाल न्यायालय ने उन्हें राहत नहीं दी है और सरकार को भ्रष्टाचार और राजद्रोह दोनों मामलों की केस डायरी पेश करने को कहा है इस मामले की अगली मंगलवार 20 जुलाई को होगी।

यहां पर यह बताना भी लजिमी होगा कि जिस दिन निलंबित एडीजी जी पी सिंह ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिये याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी उसी दिन शाम को राज्य सरकार की ओर से इसी मामले में कैविएट लगाया था। निलंबित सीनियर आईपीएस जीपी सिंह की याचिकाओं पर गुरुवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जीपी सिंह के अंतरिम राहत की मांग पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से केस डायरी मांगी है। सरकार के जवाब आने के बाद ही अंतरिम राहत को लेकर सुनवाई होगी। आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरों ने उनके सरकारी आवास के साथ-साथ प्रदेश के अलावा दूसरे प्रांतो में रहने वाले उनके अन्य परिचितों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें आय के अधिक संपत्ति के मिले पुख्ता सबूतों के बाद मामला दर्ज किया गया था। वहीं दस्तावेजों की जांच के बाद सरकार के खिलाफ षडय़ंत्र की बात सामने आने पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है।

जीपी सिंह ने अपने अधिवक्ता किशोर भादुड़ी के माध्यम से रिट पिटिशन दायर कर की है। पहली याचिका में उन्होंने एसीबी और रायपुर सिटी कोतवाली में उनके खिलाफ दर्ज मामलों की स्वतंत्र एजेंसी जैसे सीबीआई से जांच कराने, अंतरिम राहत देने और उनके खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाने की भी मांग की है। वहीं उनके खिलाफ दायर राजद्रोह के केस को भी याचिका दायर कर चुनौती दी है। दोनों मामलों पर सुनवाई चल रही है।याचिका में जीपी सिंह की ओर से कहा गया है कि अवैध कामों के लिए मना करने पर सरकार में दखल रखने वाले कुछ नेताओं और अफसरों ने मिलकर उन्हें फंसाया है।

अफसरों ने पहले उन्हें धमकी दी और बाद में आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए एसीबी का छापा डलवाया। उनके खिलाफ राजद्रोह का अपराध दर्ज कर दिया गया। कहा कि वह जांच में सहयोग करने को तैयार हैं, पर मामला सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र जांच एजेंसी को सौंपा जाए।याचिका में कहा गया है कि जिस डायरी और कागजों के आधार पर यह केस दर्ज किया गया है, वह सालों पुरानी है। कचरे, नाली में फेंकी हुई थी और उसे बंगले में छापा मारने वाले खुद ढूंढकर लाए थे। जब इन फटे-पुराने कागजों की जब्ती की जा रही थी, उस समय जीपी सिंह को नहीं बुलाया गया। जबकि वो बंगले में मौजूद थे। एक डायरी जिसे पुलिस सबूत बता रही है उसके पन्ने भीगे हुए थे। पुलिस ने उसे सुखाने के बाद अस्पष्ट शब्दों के आधार पर मामला दर्ज किया।

याचिका में जीपी सिंह की ओर से कहा गया है कि उन्हें डायरी लिखने की आदत रही है। याचिका में तर्क दिया गया है कि किसी व्यक्ति की डायरी लिखने की आदत हो और वह किसी मामले में कुछ लिखता है तो इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता कि वह उसमें शामिल हो गया। वह तो अपनी मन की बातें लिखता है। फिर उसके लिखे शब्दों का पुलिस द्वेषवश कुछ और मतलब निकाल ले और अपराध दर्ज कर ले, ये न्यायोचित नहीं है। डायरी में लिखी बातों को पुलिस प्रमाणित भी नहीं कर सकती।

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