धान और किसान भाजपा के लिए केवल कमीशनखोरी और राजनीति की विषय वस्तु, भूपेश सरकार में हो रहा है तेजी से समाधान

रायपुर,

किसान आंदोलन और धान के उठाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सवाल पर पर पलटवार करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि सत्ता में रहने के दौरान भाजपाई किसानों से 15 साल लगातार वादाखिलाफी करते रहे और अब जब प्रदेश में किसान हितैषी सरकार, वादे निभाए जा रहे हैं तो भाजपा नेता घड़ियाली आंसू बहा रहे। रमन सरकार के दौरान धान खरीदी पर से सीधी उठाव का औसत लगभग 41% था जबकि वर्तमान में भूपेश बघेल सरकार के दौरान पिछले 3 वर्षों में सीधे उठाव लगभग 61% रहा है। इस वर्ष 98 लाख मेट्रिक टन की रिकॉर्ड धान खरीदी के बावजूद अब तक कुल उपार्जित धान का लगभग 95% धान का उठाव हो चुका है। कस्टम मीनिंग के उपरांत एफसीआई और नान में चावल जमा करने की प्रक्रिया भी ऐतिहासिक तेजी से जारी है। आरोप लगाने के बजाय भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने कार्यकाल को याद करें जब धान और नाम इनके भ्रष्टाचार का चारागाह हुआ करता था। समितियों से उठाव के नाम पर स्कूटर, एंबुलेंस और मोटरसाइकिल के नंबर को हाईवा बता कर परिवहन घोटाला करते रहे।

कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि नई राजधानी के किसानों की समस्या भी रमन सरकार की ही देन है। 2006 और 2013 में आपसी सहमति से तय पुनर्वास नीति का पालन रमन सिंह ने दिसंबर 2018 तक सरकार में रहते हुए पूरी नहीं की। भूपेश बघेल सरकार में तो 8 में से 6 मांगों को तत्काल पूरा करके, बाकी के दो मांगो के लिए भी विधि विभाग से अभिमत आने तक का समय मांगा है। किसानों के सभी मांग पर भूपेश सरकार गंभीर और संवेदनशील है। रमन सरकार की वादाखिलाफी के चलते कर्ज के बोझ से छत्तीसगढ़ में लगभग 13 हज़ार से अधिक किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हुए, कितने किसानों के परिजनों से रमन सिंह ने बात की? या कितने किसानों को रमन सरकार ने मुआवजा दिया था? अब छत्तीसगढ़ का किसान समाज चुका है कि कौन लोग थे जो बोनस के नाम पर 15 साल तक ठगते रहे और कौन सी सरकार है जो कर्जमाफी, फसलों का सही दाम, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना और गोधन न्याय योजना जैसी योजनाओं से आम जनता की समृद्धि को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है।

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