दो से पांच साल के बच्‍चों के पेरेंट्स को जरूर पता होनी चाहिए ये तरकीबें, बच्‍चे रहते हैं कंट्रोल में

दो से पांच साल के बच्‍चों को टॉडलर एज ग्रुप में रखा जाता है। इस उम्र के बच्‍चों को संभालना किसी रोलर कोस्‍टर राइड से कम नहीं होता है। इनकी खानपान की आदतों का ध्‍यान रखने के साथ स्‍लीपिंग पैटर्न काे भी सुधारना, पेरेंट्स की ही जिम्‍मेदारी हेती है। कई पेरेंट्स तो इस बात को लेकर चिंता में रहते हैं कि उनकी पेरेंटिंग का तरीका सही भी है या नहीं।

इस मामले में डॉक्‍टर और दोस्‍तों के टिप्‍स आपके काम आ सकते हैं लेकिन अगर आप पहली बार पेरेंट बने हैं तो स्‍ट्रेस लेना बंद कर दें। यहां हम आपको कुछ ऐसे टिप्‍स बता रहे हैं जो टॉडलर को संभालने में आपकी मदद करेंगे।

​नियमों को थोड़ा लचीला रखें

आपको यह समझना होगा कि कब आपको सख्‍ती से नियमों का पालन करवाना है और कब थोड़ा ढीला छोड़ना है। कुछ नियम और निर्देश न सिर्फ बच्‍चों को चिड़चिड़ा बना देता है बल्कि उन्‍हें गुस्‍सा भी ज्‍यादा आने लगता है। बार-बार डांट पड़ने पर भी बच्‍चे को गुस्‍सा आ जाता है। इससे बड़े होने पर बच्‍चे का गुस्‍सैल स्‍वभाव बन सकता है।

अगर बच्‍चे का बिहेवियर गलत दिशा में जा रहा है तो उसे समय पर पहचानने की कोशिश करें और सुधार लाने का प्रयास करें। वहीं जब बच्‍चा कुछ अच्‍छा करता है तो उसकी तारीफ भी करें।

​मुंह की सफाई

इसी उम्र से बच्‍चों में दांतों को ब्रश करने की आदत डालनी चाहिए। बच्‍चों को मुलायम ब्रिसल वाला ब्रश दें जिससे उनके मसूड़ों को चोट न पहुंचे। बच्‍चों दांतों में कैविटी को भी चैक करते रहें।

​स्‍लीपिंग शेड्यूल

बच्‍चों के विकास के लिए पर्याप्‍त नींद लेना भी बहुत जरूरी है। इस बात का ध्‍यान रखें कि बच्‍चे कम देर तक न सोएं और भरपूर नींद लें। उसे रोज रात को एक ही समय पर सुलाएं और सुबह जल्‍दी उठाएं।

टॉडलर को 11 से 14 घंटे की नींद लेनी जरूरी होती है। इससे बड़े बच्‍चों को 8 से 10 घंटे की नींद लेनी होती है जिसमें रात को सोना और दिन में झपकी लेना शामिल है।

​बच्‍चों के साथ बॉन्डिंग

पेरेंट्स को बच्‍चों के लिए कुछ समय भी निकालना चाहिए। इससे आप अपने बच्‍चे के साथ बॉन्‍ड बना पाते हैं और आप दोनों का रिश्‍ता मजबूत होता है। अपने बच्‍चे से खूब बातें करें और उसके साथ खेलें और खूब हंसें। इससे न सिर्फ आप दोनों का रिश्‍ता मजबूत होगा बल्कि आप दोनों को ही रिलैक्‍स करने का भी टाइम भी मिलेगा।

​नाजुक होते हैं बच्‍चे

टॉडलर एज में बच्‍चों का मन बहुत नाजुक होता है और आपका डांटना उनके मन को कमजोर कर सकता है। बच्‍चे को बात-बात पर डांटे नहीं और न ही उसके साथ गलत व्‍यवहार करें। आप जैसा करेंगे, बच्‍चा भी वही सीखेगा।

जितना हो सके बच्‍चे को उसकी गलती प्‍यार से समझाएं और बात-बार पर डांट लगाने से बचें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here