देश के बेहतर भविष्य के लिए बाल अधिकारों की सुरक्षा बेहद आवश्यक: राज्यपाल सुश्री उइके

रायपुर, 

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज राष्ट्रीय युवा शक्ति संगठन एवं साधना प्लस चैनल द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस‘ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के अधिकारों की रक्षा, उनके बेहतर विकास के लिए आवश्यक हैं। कार्यक्रम में राज्यपाल सुश्री उइके ने शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वाली दिव्यांग समाजसेवी सुश्री लक्ष्मी साहू को मंच से उतर कर सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री उइके ने समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले 15 लोगों को सम्मानित किया।

कोरोना महामारी के दौरान बच्चों पर हुए नकारात्मक प्रभाव पर बोलते हुए सुश्री उइके ने कहा कि इसने समाज के बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी को बुरी तरह प्रभावित किया है। लेकिन इस त्रासदी ने बड़े पैमाने पर बच्चों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। बड़ी संख्या में बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया है। उनकी मानसिक स्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने ऐसे बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए शासन से लेकर व्यक्तिगत स्तर पर सहायता पहुंचाने की आवश्यकता बतलाई। उन्होंने कहा कि आज के भागदौड़ के जिंदगी में माता-पिता अपने परिवार अपने बच्चों को समय नहीं दे पाता। कोरोना ने लोगों को परिवार के महत्व की अनुभूति कराया है। हमें अपने काम के साथ-साथ अपने परिवार और बच्चों को भी पर्याप्त समय देने की आवश्यकता है।

उन्होंने भारतीय संस्कृति के महत्व को बताते हुए कहा कि संयुक्त परिवार की परंपरा भारत की समृद्धशाली परंपरा रही है, जहां बच्चों को अपने दादी, नानी से नैतिक मूल्यों की शिक्षा मिलती थी। आज बच्चे अपनी शिक्षा और नैतिक मूल्यों से दूर होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमें संयुक्त परिवार के महत्व को समझना होगा। उन्होंने कहा कि सभी बच्चों में हुनर होता है। हमें उन करोड़ों बच्चों के उस हुनर को निखार कर नया जीवन देने की आवश्यकता है।

 अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। आज भी बच्चे चाय ठेलों, होटलों, दुकानों जैसे अनौपचारिक क्षेत्र में मजदूरी करते हैं। उन्हें मानव तस्करी जैसे घृणित कार्य में भी झोंक दिया जाता है। कुछ तो बेहद मजबूरी में काम करते हैं या कुछ के माता-पिता उन्हें परिवार के आर्थिक सहयोग के लिए काम में लगा देते हैं। इससे उनकी शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह आज के आधुनिक युग के लिए बेहद शर्म की बात है। इस खतरनाक स्थिति के लिए हमें गंभीर विचार करने के साथ ठोस कदम उठाने की आवश्कता है। इस तरह के कार्यक्रमों से हम लोगों का ध्यान इस दिशा में आकृष्ट करते हुए उन्हें जागरूक करने का काम कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि किसी को भी बच्चों से उनके अधिकारो को छीनने का हक नहीं है। बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित करना सबसे बड़ा अपराध है। उनके अधिकारों के हनन संबंधी कानूनों को बेहतर तरीके से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने समाज के सभी लोगों से आग्रह किया कि बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं, उनके बचपन को संवारें ताकि कल ये एक बेहतर नागरिक के तौर पर समाज में स्थापित हो सके।

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस आयोजन को समाज में बच्चों के विकास की दिशा में सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा स्वास्थ्य और पोषण बच्चों का नैसर्गिक अधिकार है। हमारा भविष्य तभी सुरक्षित होगा, जब बच्चों का बचपन संरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों की रक्षा के लिए अभिभावकों के साथ समाज का भी उत्तरदायित्व है।

यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के प्रमुख जॉब जकारिया ने बच्चों को परिवार, समाज और राज्य का मूल्यवान सम्पत्ति बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों का स्वास्थ्य और शैक्षणिक विकास का स्तर दीर्घकाल में सीधे तौर पर राज्य की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। बाल विवाह, बाल शोषण, बाल तस्करी को रोकने के लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी अपनी महत्वपूर्ण  भूमिका निभानी होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक हम व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर बाल अधिकारों के रक्षा के लिए कार्य नहीं करेंगे तब तक स्वस्थ सुपोषित और संरक्षित देश नहीं बनाया जा सकता है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय युवा शक्ति संगठन के कार्यकर्ता आनंद मिश्रा तथा त्रिलोक चंद बरड़िया, राज्य के प्रमुख समाजसेवी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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