नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने बच्चों को कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर बिना उचित रिसर्च के बच्चों को कोविड-19 का टीका लगाया गया तो ये एक आपदा होगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (16 जुलाई) को उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि बच्चों को वैक्सीन लगाने के लिए समयबद्ध तरीके से शोध होनी चाहिए। इस याचिका पर आपत्ति जताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, अगर उचित शोध के बिना बच्चों को कोविड-19 के टीके लगाए जाते हैं, तो यह एक आपदा हो सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कहा,'' यह एक आपदा होगी अगर देश में बच्चों को बिना अच्छे से रिसर्च किए और उचित शोध के बिना ही वैक्सीन लगा दी जाती है।''
रिसर्च की कोई समयसीमा नहीं हो सकती है: हाईकोर्ट कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता कैलाश वासुदेव ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कब खत्म होगा…इसके लिए एक विशिष्ट समयरेखा होनी चाहिए। एक टाइमफ्रेम सेट होना चाहिए, जिसके भीतर परीक्षण खत्म किया जाए। वकील के इस तर्क पर हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर याचिकाकर्ता इस तरह की दलीलें देता है तो वह मामले का ही निपटारा कर देगी। कोर्ट ने कहा कि रिसर्च के लिए कोई समयसीमा नहीं हो सकती है।
केंद्र सरकार ने एक हलफनामे में शुक्रवार (16 जुलाई) को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि फार्मास्युटिकल प्रमुख Zydus Cadila की कोविड-19 वैक्सीन भविष्य में 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए जल्द ही उपलब्ध हो जाएगी।