जिस समय चारों तरफ कुछ भी दिखाई ना दे घोर अंधेरा हो भगवान अवतार लेते हैं…श्री संकर्षण शरण जी(गुरूजी)

श्री कृष्ण जन्माष्टमी,

परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी(गुरूजी) के सानिध्य में वेबीनार के माध्यम से जुड़कर सभी लोग एक साथ भगवान का जन्म उत्सव का आनंद लिया गया, गुरु जी ने भगवान के जन्म की कथा सबको बताएं साथ में इसका महत्व भी बताएं और मंत्रोपचार के साथ भगवान का जन्म उत्सव मनाया गया ।
कथा बताते हुए गुरु जी यह बताएं कि जब हमारी बुद्धि भगवान को धारण करने योग्य बन जाती है शुद्ध हो जाती है भगवान आते हैं जब चारों तरफ से हाथ पांव में बेड़ियां हो घोर अंधकार हो तो भी यदि हम भगवान का भजन करते हैं भगवान के ऊपर भरोसा रखते हैं भगवान प्रकट हो जाते हैं कन्हैया जेल में अवतार लेते हैं, जब हम ईश्वर को अपने सिर पर धारण करते हैं बंधन मुक्त हो जाते हैं वासुदेव बेड़ियों से बंधे थे, जब सिर पर भगवान को धारण करते हैं हाथ पांव की बेरिया निकल जाती है दरवाजे खुल जाता है और सारे सैनिक सो जाते हैं सज्जन जब आते हैं तो दुर्जन कमजोर ही पद जाते हैं , यमुना जी की लहरें उफान दे रही है ऐसा लग रहा है मानो दोनों तरफ से दरवाजा खोलकर भगवान को हृदय में रख लेना चाहती है, जैसे ही भगवान चरण देते हैं यमुना जी शांत हो जाती है , भगवान गोकुल में जाते हैं, गोकुल अर्थात पवित्र कुल जहां बुद्धि शुद्ध होती है भगवान वहीं रहते हैं।

भाद्रपद अर्थात भाद्र अर्थात कल्याणकारी पद का अर्थ चरण:  WhatsApp Image 2021 08 31 at 10.25.53 AM भगवान का कल्याणकारी चरण जहां जहां हो वहां आनंद ही आनंद रहता है सब गोप गोपिया उत्सव मनाते हैं बधाई बाजे बजते हैं। भगवान ने रिश्तो की मर्यादा सिखाई दोनों मां का मान रखते हैं रोहिणी नक्षत्र और देवकी माता के गर्भ से जन्म लेते हैं इस तरह रिश्तो की मर्यादा का भी पालन करते हैं। मथुरा में जन्म लेते हैं लेकिन गोकुल में ही रहते हैं भगवान गोकुल पहुंचकर रोते हैं गुरु जी बताएं कि भगवान क्यों रोते हैं ? भगवान के पहुंच जाने पर भी जब लोग सोए हैं तो भगवान को रोना आ रहा है, सबको पता है कि भगवान है लेकिन जानते हुए भी अनजान बन जाते हैं जानकर भी गलत करने लगते हैं सोए रहते हैं भगवान जगाते हैं , यशोदा माता को रोकर जगाते हैं, गोपियों को बांसुरी बजा कर जगाते हैं ,वही अर्जुन को गीता सुनाकर जगाते हैं ।भगवान जगाने का कार्य करते हैं ।हर पल सतर्क करते हैं। जब भगवान को उतार कर माया को धारण करते हैं वासुदेव जी फिर बंधन में बंध जाते हैं जब हम भगवान को स्वीकार करते हैं बंधन मुक्त होते हैं जब भगवान की माया को स्वीकार करते हैं बंधन में बंध जाते है, वासुदेव जी फिर से जेल में बंधन में बंध जाते है, हाथों में बेड़िया सैनिक जाग जाते हैं और बंधन में होते हैं।

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