गति और मति अर्जुन जैसे हो तो उस शिष्य का सारथी कृष्ण हीं होते है.

सुविचार

जिस शिष्य की गति और मति अर्जुन जैसे हो तो उस शिष्य का सारथी कृष्ण हीं होते है, हमारे जीवन रूपी रथ के सारथी कौन है और किसे होना चाहिए और हम किसको सत्य मानते हैं , यह जानने की जरूरत है ,क्या हम अर्जुन जैसे शिष्य हो पाए ?

यदि नहीं तो कमी कहां रह गई , यह चिंतन करने की आवश्यकता है ,क्योंकि आज सबको कृष्ण रूपी गुरु की आवश्यकता है। जीवन रूपी रथ को सही दिशा कृष्ण ही प्रदान करते है,और चलाते भी वही हैं,संतुलन में ले जाकर सत्य का दर्शन करा देते है । हम जिसको सत्य मानते है गुरु की दृष्टि से समझे तो सत्य कुछ और होता है, सत्य को जानने के लिए दिव्य दृष्टि सिर्फ गुरु ही प्रदान करते है।
गुरु चरणों मे नमन

कल्पना शुक्ला