गणेश शंकर मिश्रा ने रखी थी नये कवर्धा की नींव

बसंत शर्मा |राजनंदगांव
कवर्धा पूर्ववर्ती राजनंदगांव जिले का प्रमुख और राजनैतिक तौर पर अति-संवेंदनशील सब डिवीज़न हुआ करता था| तत्कालीन सांसद शिवेंद्र बहादुर का गृह क्षेत्र होने के कारण कवर्धा में उनकी तूती बोला करती थी, वे उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सहपाठी थे| ऐसी परिस्थितियों में प्रशासनिक सूझ-बूझ रखनेवाले अधिकारीयों को ही कवर्धा में एस.डी.एम रखा जाता था| इस क्रम में युवा गणेश शंकर मिश्रा को 1987 में कवर्धा एस.डी.एम नियुक्त किया गया|
कहा जाता है पूत के पाँव पालने में दिखते हैं| बीते 34 वर्षों में कवर्धा का सफ़र मध्यप्रदेश के एक अनुविभाग से छत्तीसगढ़ के प्रमुख जिले तक का रहा है, ऐसे में 1980 की दशक में तीन वर्षों के लिए बतौर अनुविभागीय अधिकारी पदस्थ हुए गणेश शंकर मिश्रा ने अपनी प्रशासनिक दक्षता और उत्तम कार्यक्षमता से क्षेत्र में अपनी वो गाढ़ी पहचान बनाई है जिसके बदौलत आज भी कवर्धा के जनमानस में उन्हें एक उच्च स्थान प्राप्त है|
जिले के पुराने लोग बताते हैं, मिश्रा ने तीन वर्षों से भी कम समय में ऐसे कार्य किये जिसने नवीन कवर्धा की नींव रखी थी| आज शहर की पहचान बन चुके गाँधी मैदान, जहाँ पारंपरिक ढंग से 26 जनवरी और 15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है, उसमें पहले बाज़ार लगा करता था और राष्ट्रीय दिवस का उत्सव मानाने प्रशासन को काफी मशक्कत कर व्यापारियों से मान-मनव्वल करके अल्प-काल के लिए अतिक्रमण हटवाये जाते थे ताकि ध्वजारोहण के लिए जैसे-तैसे व्यवस्था की जा सके| मिश्रा ने एस.डी.एम बनते ही तीन महीने के अंदर व्यापारियों को समझा कर पूरा बाज़ार ही स्थानांतरिक कर दिया जिसे आज हम नवीन बाज़ार के नाम से जानते हैं| इस अतिक्रमण के हटने से करोड़ों की जमीन नगर पालिका को उपलब्ध हो सकी| इससे न केवल लम्बे समय से टल रही समस्या का स्थायी निराकरण हुआ, बल्कि एक तरफ जहाँ व्यापारी वर्ग शुक्रगुज़ार है कि किसी प्रशासनिक अधिकारी ने तो दो-कदम आगे बढ़कर इस संवेदनशील फैसले में उनकी सहभागिता लेकर एक सम्मानजनक रास्ता निकालने का प्रयत्न किया तो दूसरी तरफ शहरवासी स्थायी निराकरण को लेकर मिश्रा की प्रशासनिक दक्षता का आज भी सम्मान करते हैं| इसी दौरान शंकराचार्य के चबूतरे एवं जय-स्तम्भ को भी गरिमाजनक ढंग से विकसित किया गया तथा मवेशी बाज़ार को शहर से बाहर स्थानांतरित किया गया| आज की पीढ़ी जब देखती होगी तो सोच भी नहीं सकती कि 35 साल पहले उस सम्मानजनक शंकराचार्य चबूतरे की स्थिति ऐसी थी कि मवेशी उसपर बैठ जाया करते थे और काफ़ी वहां गंदगी हुआ करती थी|
मिश्रा ने अपने 36 वर्षों के प्रशासनिक कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में एक अमिट छाप छोड़ी है| रायपुर, राजनंदगांव और जगदलपुर जैसे शहरों का अभूतपूर्व सौन्दर्यीकरण किया, मध्य-प्रदेश-छत्तीसगढ़ क्षेत्र में स्वच्छ भारत अभियान के पुरोधा रहे, सचिव आबकारी रेहते हुए मद्य-निषेध हेतु योजनाबद्ध तरीक से कार्य किया तथा उन्हीं के बतौर प्रमुख सचिव जल-संसाधन रहते हुए प्रदेश में रिकॉर्ड एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित हुई थी, जो आज तक का कीर्तिमान है| छत्तीसगढ़ निर्माण से अब तक सबसे लम्बे समय तक जिले के प्रभारी सचिव रहे मिश्रा ने बीते माह भा.ज.पा. के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष सदस्यता ग्रहण कर ली और राजनैतिक प्रवेश के पश्चात् आज प्रथम बार भोरमदेव दर्शन करने आये हैं| दिनभर उनका कार्यकर्ताओं और शहरवासियों तथा पुराने परिचितों से मिलने जुलने का कार्यक्रम रहेगा|

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