खतरे में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, पानी की कमी से पैदा हो सकती है अकाल जैसी स्थिति

 इस्लामाबाद 
पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। वहां की अर्थव्यवस्था और खस्ताहाल होती जा रही है। पाकिस्तान की फाइनेंस मिनिस्ट्री का एक हालिया बयान वहां की अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात को उजागर करता है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खतरे में है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय वस्तुओं की बढ़ती कीमतें महंगाई और बढ़ा सकती है और बैलेंस ऑफ पेमेंट्स (BoPs) पर असर डाल सकती हैं। इस बीच, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीए) की संसदीय दल की नेता शेरी रहमान ने इमरान खान की मुसीबत बढ़ा दी है। उन्होंने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट सरकार की विफलता का संकेत है। 

एक साल में 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ीं खाद्य कीमतें
शेरी रहमान ने कहा कि एक तरफ सरकार अपने प्रदर्शन की गुलाबी तस्वीर पेश कर रही है। वहीं दूसरी ओर, विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि मई 2020 से मई 2021 तक एक साल की में पाकिस्तान में खाद्य कीमतों में 14.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि देश की आबादी का 68 फीसदी हिस्सा स्वस्थ आहार से वंचित है।

निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों की बिगड़ रही स्थिति
स्थानीय मीडिया के अनुसार, पाकिस्तान में मुद्रास्फीति ने देश में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की है, जिससे निम्न-मध्यम आय वाले परिवारों की स्थिति बिगड़ती जा रही है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान जैसे देश में, जहां अधिकांश परिवार अपनी आधी से अधिक आय भोजन पर खर्च करते हैं, परिवहन, पेट्रोल, बिजली और अप्रत्यक्ष करों की बढ़ती लागत ने भूख, गरीबी और कुपोषण में संभावित वृद्धि के बारे में वाजिब चिंताएं बढ़ा दी हैं।
 
 पाकिस्तान में बढ़कर 5.4 फीसदी हुई गरीबी
विश्व बैंक (WB) के अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान में गरीबी 2020 में 4.4 फीसदी से बढ़कर 5.4 फीसदी हो गई है, क्योंकि दो मिलियन से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं। निम्न-मध्यम-आय गरीबी दर का उपयोग करते हुए विश्व बैंक ने अनुमान लगाया कि पाकिस्तान में गरीबी अनुपात 2020-21 में 39.3 फीसदी था और 2021-22 में 39.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है और 2022-23 तक यह घटकर 37.9 फीसद हो सकता है।  रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते इस मुद्दे का समाधान नहीं किया गया तो देश भर में पानी की कमी के कारण पाकिस्तान में अकाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, कम वर्षा के कारण नदियों के सूख जाने के बाद देश में पानी की कमी ने खतरे की घंटी बजा दी है।

उन्होंने कहा कि चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पाकिस्तान में खाद्य मुद्रास्फीति की दर करीब 11 फीसदी है, जो भारत और बंगलादेश दोनों की तुलना में अधिक है। यह स्पष्ट है कि देश के आर्थिक विकास दर में 29.3 फीसदी की कमी आई है। देश में बेरोजगारी दर 6.2 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी हो गई है। वहीं गरीबी दर बढ़कर 40 फीसदी हो गई है तथा 20 लाख से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं। चालू खाता घाटे में वापस आ गया है, जबकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 39 फीसदी की गिरावट आई।