खंडवा लोकसभा की सीट पर दावेदारी की खींचतान शुरू

 भोपाल
 खंडवा संसदीय सीट के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस के दावेदार सक्रिय हो गए हैं। भाजपा की ओर से पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री कृष्णमुरारी मोघे तो पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस सक्रिय हैं। वहीं, कांग्रेस की ओर से पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव दावेदारी जता रहे हैं। अरुण यादव एक बार खंडवा से सांसद रह चुके हैं। उन्होंने क्षेत्र में अघोषित तौर पर प्रचार भी शुरू कर दिया है। यह सीट भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के कारण रिक्त हुई है।

कांग्रेस की ओर से स्थिति अधिक स्पष्ट इस सीट को लेकर कांग्रेस की ओर से स्थिति अधिक स्पष्ट है। अरुण यादव का गृह जिला नजदीकी खरगोन है और खंडवा से एक बार सांसद रहने के कारण उनका दावा ज्यादा मजबूत है। अरुण यादव की टीम खंडवा में सक्रिय हो गई है। यादव ने भी इस क्षेत्र में आवाजाही बढ़ा दी है। भाजपा में दो नाम भाजपा की ओर से मोघे एक बार खंडवा से लगे खरगोन से सांसद रह चुके हैं। उनका नेटवर्क भी निमाड़ क्षेत्र में है। संघ के करीबी होने के कारण वे भी दावेदारी जता रहे हैं।

भाजपा नेत्री चिटनीस भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बुरहानपुर से हारने के बाद भी सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी बनी रही। इंटरनेट मीडिया पर उनकी टीम उनके आयोजनों को लेकर मुस्तैद रही है। पिछले अनुभव के आधार पर उनकी दावेदारी भी मजबूत है। कमल नाथ की खिलाफत खत्म नाथूराम गोडसे समर्थक को कांग्रेस की सदस्यता दिलाने के बाद अरुण यादव ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ को लेकर मोर्चा खोला था।

उन्होंने विचारधारा की बात कहकर विरोध दर्ज कराया था। हालांकि खंडवा सीट पर दावेदारी को देखते हुए यह विरोध नेपथ्य में चला गया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यादव की दावेदारी सांसद प्रत्याशी के तौर पर उसी सूरत में साकार होगी, जब कमल नाथ उस पर सहमति देंगे। यही वजह है कि प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पीढ़ी परिवर्तन का मुद्दा इन दिनों पार्टी से नदारद है।

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