कोरोना मौतों पर डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों पर मोदी सरकार श्वेत पत्र जारी करें-कांग्रेस

रायपुर,

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कोरोना की मौतों पर डब्ल्यूएचओ का जो आंकड़ा आया है वह दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं दुखद भी है, क्योंकि उनका कहना है की कोविड के चलते हिंदुस्तान में 47 लाख मौतें हुई हैं जो कि मोदी सरकार के दिसंबर 2021 तक आधिकारिक आंकड़े 4 लाख 80 हज़ार से लगभग 10 गुना अधिक है। यही नहीं उनका यह भी कहना है कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौतें कोविड के चलते हिंदुस्तान में हुई है। भारत सरकार कोरोना की मौतों पर श्वेत पत्र जारी करें। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों को हल्के में लेकर टाला नहीं जा सकता। शायद इन्हीं तथ्यों के मद्देनजर विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि कोविड प्रबंधन में मोदी सरकार का बर्ताव शुतुरमुर्ग की तरह है। गलतियों को स्वीकार कर सीख लेने के बजाय हमेशा की तरह चिर परिचित अंदाज में मोदी सरकार ने, उनके मंत्रियों ने, उनके विशेषज्ञों ने इनके आईटी सेल के पैड वर्कर और ट्रोल आर्मी ने डब्ल्यूएचओ को खूब भला बता कर सच्चाई को झुठला नहीं सकते।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों को एक बारगी खारिज नहीं किया जा सकता कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान देश में जो हालात थे वह भयावह थे। वह मंजर देश की जनता को आज भी याद है जब नदियों की रेत लाशों से पट गई थी। बेदम होकर लोग तड़प रहे थे। लोग ऑक्सीजन और वेंटीलेटर के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे थे। अनगिनत लाशें गंगा में तैर रही थी। अस्पतालों में भयावह स्थिति और श्मशान और कब्रिस्तान के बाहर लाइनें लगी हुई थी, वही भयावह स्थिति कोविड के चलते इस देश में थी जिसको केंद्र की इस मोदी सरकार ने बार-बार झुठलाना चाहा। आखिर यह वही सरकार है जिसने सदन में कहा था कि ऑक्सीजन की कमी के चलते किसी की मौत नहीं हुई। सबको याद है कि कैसे बेदम और तड़प रहे थे लोग बिना ऑक्सीजन के।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार की प्राथमिकता में देश को राहत देने के बजाय आत्म प्रचार है। वैक्सीनेशन से ज्यादा जरूरी वैक्सीनेशन के पोस्टर पर फोटो चिपकाना है? मौका मिलते ही 18 से 59 वर्ष वालों के बूस्टर डोज फिर से 
बेचना चालू कर दिए? लोगों को मदद न देना पड़े शायद इसीलिये मोदी सरकार आंकड़ों की हेराफेरी कर रही है। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट पूरे देश में लागू है जिसका मतलब है कि हर पीड़ित को ₹4 लाख देने होते हैं, मोदी सरकार इससे क्यों मुकर गई? क्या आंकड़े इसीलिए छुपाया गया? लेकिन असलियत पूरे देश को पता है, असलियत उन पीड़ित परिवार को पता है, क्योंकि हम सबने या तो अपने कोई संबंधी, कोई चाहने वाला, कोई पास पड़ोस वाले या कोई साथी सहकर्मी किसी न किसी को खोया है। लगातार कांग्रेस यह सवाल उठा रही थी कि मौत का आंकड़ा बहुत ज्यादा है, और आज डब्ल्यूएचओ ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। अपने देश में जिनकी जानें गई उनके लिए थोड़ा अगर थोड़ा सम्मान तो दिखाइए और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के चलते जो ₹4 लाख रुपए प्रति व्यक्ति देने है वह तो दीजिए।


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कोविड के मौतों के आंकड़ों को एकत्रित करने में छत्तीसगढ़ में पूरी पारदर्शिता और सावधानी बरती गयी। खुली मुनादी करके स्वास्थ, पंचायत और राजस्व विभाग ने कोविड से हुई मौत के आंकड़े जुटाए उनको ऑडिट भी कराया था।

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