कैट ने पीयूष गोयल से बड़ी टेक्नॉलजी कंपनियों के बिज़्नेस मॉडल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

रायपुर.

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे गए एक पत्र में बड़े ऐप स्टोर ऑपरेटरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया, जो सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को अपने प्लेटफॉर्म के भुगतान प्रणालियों का उपयोग करने के लिए मजबूर कर रहीं है और जिसके एवज़ में वो भारी कमीशन वसूल रही हैं। हाल ही में, दक्षिण कोरिया ने बड़े ऐप स्टोर पर प्रतिबंध लगाने वाला एक कानून पारित किया है। प्रमुख रूप से दो प्रमुख कंपनियां गूगल और ऐप्पल अपना सोफ्टवायर इस्तेमाल करने वाले लोगों से ज़ोर डाल कर कहते हैं कीं वो अनिवार्य रूप से उनका भुगतान सिस्टम ही इस्तेमाल करें जिस पर फ़र कम्पनियाँ 30 प्रतिशत तक कमीशन ले रही हैं और गैर-प्रतिस्पर्धी वातावरण तैयार कर रही है जिसके बल पर बड़ी तकनीकी कंपनियों ने भारी दबदबा हासिल कर लिया है जो बड़ी संख्या में छोटे प्रौद्योगिकी खिलाड़ियों के लिए एक प्रमुख बाधा साबित हुई है और इसलिए उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए नियामक कदमों की आवश्यकता है- ये कहना है कैट का।
इस मांग को उठाते हुए कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष  जितेन्द्र दोशी ने कहा कि ई-कॉमर्स में किए जा रहे अन्य कदाचारों की तरह, वही प्रथाओं को प्रौद्योगिकी में भी लागू करने की कोशिश की जा रही है जो कि बड़े पैमाने पर देश हित में नहीं है। प्रौद्योगिकी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की तत्काल आवश्यकता है और सभी सेवा प्रदाताओं को सर्वोत्तम सामग्री और सेवाएं प्रदान करने के लिए समान अवसर प्रदान करना और उपभोक्ता को यह तय करने देना है कि क्या उपयोग करना है और क्या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को ऐप स्टोर के द्वारपालों को उनकी हानिकारक और प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के लिए जवाबदेह बनाना चाहिए। दोनों नेताओं ने आशा व्यक्त की कि सरकार दक्षिण कोरिया के नेतृत्व का अनुसरण करेगी और सभी ऐप डेवलपर्स और उपयोगकर्ताओं के लिए समान स्तर के व्यापार करने का मैदान सुनिश्चित करेगी।

पारवानी और दोशी ने कहा कि पिछले महीने के अंत में ऐप्पल ने यूएस आधारित ऐप डेवलपर्स को $ 100 मिलियन समझौते के हिस्से के रूप में दिए अपने एपीपी स्टोर ऑपरेटरों के तरीके में बदलाव करने के लिए, इन एप डेवलपर्स ने कंपनी पर अनुचित प्रथाओं का उपयोग करने के लिए मुकदमा दायर किया। उन्होंने ऐप बाजार के भीतर प्रतिस्पर्धा की रक्षा और उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एवं ई-कॉमर्स जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों की अनुचित प्रथाओं और मनमानी को रोकने के लिए सरकार पर जोरदार दबाव डाला। यह खेदजनक है कि प्रभुत्व और बाजार को एकाधिकार बनाना वैश्विक कंपनियों का मुख्य एजेंडा बन गया है क्योंकि वे सह-अस्तित्व के मूल सिद्धांतों में विश्वास नहीं करते हैं।
पारवानी और दोशी ने कहा कि भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में बड़ी टेक कंपनियों की योजना कुछ प्ले स्टोर बिलिंग नीतियों को लागू करने की है, जो छोटी कंपनियों को प्रभावित करने वाली बड़ी टेक कंपनियों की प्रथाओं की वैश्विक घटना का एक छोटा सा हिस्सा है। भारतीय स्टार्ट-अप क्षेत्र स्थानीय प्रासंगिक उत्पादों और सेवाओं के अनुरूप तकनीकी प्रणाली का निर्माण करने के लिए बड़ी तकनीकी कंपनियों के स्थानीय संस्करणों की नकल करते हुए संक्रमण के चरण में है। ये स्टार्ट अप अभी भी विकासशील मोड में हैं और अधिक जोखिम के साथ अल्प कमाई कर रहे हैं। हालांकि, जब इन स्टार्टअप्स ने अपने वीचारों का विस्तार करना शुरू किया तो उन्हें प्रौद्योगिकी में असमान स्तर का खेल मैदान मिला और बाजार को लुभाने वाली बड़ी तकनीकी कंपनियों ने इन्हें पीछे धकेलने में कोई कसर नही छोड़ी। इसलिए, प्रौद्योगिकी क्षेत्र के छोटे स्टार्टअप को प्रभावित करने वाले इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार का तत्काल संज्ञान लेना अनिवार्य है।

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