‘के-पॉप’ सुनते पकड़े गए तो कैद में काटने होंगे 15 साल: किम जोंग उन

प्योंगयांग
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन इन दिनों बगावत के डर से बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। पड़ोसी देश दक्षिणी कोरिया के पॉप संगीत ने उनकी रातों की नींद और दिन सुकून छीन लिया है। इससे परेशान होकर तानाशाह किम जोंग उन ने के-पॉप के दीवानों को खुलेआम धमकी दी है। उन्होंने कहा कि के-पॉप खतरनाक एक कैंसर की तरह है। उत्तर कोरिया में अगर कोई इसे सुनते हुए पकड़ा गया या दक्षिणी कोरिया के ड्रामा को देखा तो उसे लेबर कैंप में 15 साल की कैद होगी।

किम जोंग उन ने के-पॉप संगीत को ‘खतरनाक कैंसर’ बता दिया। तानाशाह ने कहा कि के-पॉप एक खतरनाक कैंसर है, जो उत्तरी कोरिया के युवाओं को बर्बाद कर रहा है। उनके हावभाव, रहन-सहन, कपड़े और हेयरस्टाइल सब कुछ बदल रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो उत्तरी कोरिया एक गीली दीवार की तरह ढह जाएगा।

किम जोंग-उन ने अपने फरमान में कहा कि दक्षिण कोरिया का संगीत, टीवी सीरियल्स और फिल्में हमारे देश के युवओं की पोशाक, हेयर स्टाइल, भाषा और व्यवहार को भ्रष्ट कर रहीं हैं। दिसंबर में ही इससे संबंधित एक कानून लाया गया था, जिसमें दक्षिण कोरिया के किसी भी मनोरंजन को देखने पर लेबर कैंप में 15 साल की कैद की सजा हो सकती है। पहले यह अधिकतम सजा केवल 5 साल की थी। इतना ही नहीं, दक्षिणी कोरिया से जुड़ी मनोरंजन सामग्री की पेन ड्राइव्स की तस्करी में शामिल लोगों को पकड़े जाने पर मौत की सजा देने का प्रावधान है।

दक्षिण कोरिया के कोरियन पॉप को आम बोलचाल की भाषा में के-पॉप के नाम से जाना जाता है। मुख्य रूप से वेस्टर्न म्यूजिक पर बेस्ड के-पॉप में अब कई सारे डांस मूव्स और म्यूजिक स्टाइल आ मिले हैं। इस कारण दक्षिण कोरिया के इस पॉप म्यूजिक के पूरी दुनिया में दीवाने मिलेंगे।

दक्षिण कोरियाई संगीत, टीवी शो और फिल्में पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। इसमें तानाशाही के बोझ तले दबा उत्तर कोरिया भी शामिल है। भाषा-खानपान-संस्कृति आदि में समानता होने के कारण उत्तर कोरियाई लोग के-पॉप को खूब पसंद भी करते हैं। उत्तर कोरिया में लोगों का सांस्कृतिक जीवन सरकार तय करती है। इसीलिए उत्तर कोरिया में दक्षिण कोरियाई संस्कृति को बढ़ता देख किम जोंग उन ने यह धमकी भरा आदेश जारी किया है।

उत्तर कोरिया में मनोरंजन के साधन बेहद सीमित हैं। उत्तर कोरिया में लोगों को क्या देखना और क्या सुनना है, इसका फैसला भी तानाशाह ही लेता है। उत्तर कोरिया में मीडिया और इंटरनेट की सेंसरशिप ने लोगों को मनोरंजन के लिए दक्षिण कोरिया से तस्करी करने के लिए प्रेरित किया है। यही कारण है कि पिछले कई दशकों से दक्षिण कोरिया से वीसीआर, सीडी, डीवीडी जैसे स्टोरेज डिवाइस के जरिये संगीत, फिल्मों और टीवी सीरियल्स की सीमा पार तस्करी की जाती है। सीमा पर सख्ती होने के बाद मनोरंजन के इन साधनों की तस्करी का रूट भी बदल गया। अब ये सभी सामान चीन से लगी सीमा से पेनड्राइव्स के जरिये सप्लाई की जाती हैं।

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