केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के सामने छात्रा ने उठाया ‘सैनिटरी पैड डिस्पोजल मशीन’ की कमी का मामला

नई दिल्ली,

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ बातचीत में पुणे की राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला की पीएचडी की छात्रा ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के कई संस्थानों में उचित सैनिटरी पैड निपटान प्रणाली की कमी का मुद्दा उठाया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने रविवार को बातचीत के दौरान इस समस्या को स्वीकार किया, जबकि राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) के निदेशक ने कहा कि इसके समाधान के लिए एक तंत्र पर काम किया जा रहा है और जल्द उसे छात्रावासों तथा प्रयोगशालाओं में लगाया जाएगा। सिंह सीएसआईआर-यूआरडीआईपी की नई इमारत का उद्घाटन करने एनसीएल पहुंचे थे। छात्रा ने बातचीत के दौरान मंत्री से कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि यह सही मंच है कि नहीं, लेकिन हाल ही में हमने सीएसआईआर के कई संस्थानों में ‘सैनिटरी पैड डिस्पोज़ल मशीन’ की कमी का सामना किया है, तो आखिर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय महिला शोधकर्ताओं की बेहतरी के लिए क्या कर रहा है।

इसकी व्यवस्था भी की जाएगी: मंत्री

सिंह ने छात्रा के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘बिल्कुल, यह एक समस्या है। मुझे लगता है कि पहले कम महिला शोधकर्ता थीं इसलिए ऐसा है। जैसे-जैसे महिला शोधकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है इसकी व्यवस्था भी की जाएगी।’’ सिंह ने कहा कि उन्होंने कुछ साल पहले एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान का दौरा किया था और वहां महिलाओं के लिए उपयुक्त शौचालय नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा कि कम से कम एक शौचालय की व्यवस्था की जाए, रात की शिफ्ट में डॉक्टरों का क्या होगा? लेकिन अब इसको लेकर जागरूकता बढ़ रही है और इसका ध्यान रखा जा रहा है।

एक स्टार्ट-अप इस समस्या पर काम कर रहा है

मंत्री ने एनसीएल के निदेशक डॉ. आशीष लेले को पीएचडी छात्रा द्वारा उठाए गए मुद्दे पर विस्तार से बताने को कहा। इसके बाद लेले ने बताया कि एक स्टार्ट-अप इस समस्या पर काम कर रहा है और इसके लिए जल्द ही एक समाधान निकलेगा। लेले ने कहा, ‘‘हम एक ऐसा समाधान तलाश रहे हैं, जिसे छात्रावासों तथा प्रयोगशालाओं में लगाया जा सके। इसमें थोड़ा समय लग रहा है, लेकिन इस पर काम जारी है।

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