कांग्रेस में ‘खामोश’ शत्रु बन सकते हैं ममता के मित्र : सूत्र

नई दिल्ली 
कांग्रेस में दरकिनार होने के बाद खामोश रहने को मजबूर बिहारी बाबू शत्रुघन सिन्हा, नई राजनीतिक संभावनाएं तलाशने में जुटे हैं। सूत्रों का दावा है सियासी गलियारों में बिहारी बाबू के नाम से पहचाने जाने वाले शत्रुघन सिन्हा आने वाले दिनों में त्रृणमूल कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि हालिया बंगाल चुनाव में जिस तरह से ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी को मात दी है, उससे सिन्हा प्रभावित बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि 2024 के आम चुनाव में ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित प्रतिदद्वंदी हो सकती हैं। ऐसे में शत्रुघन सिन्हा टीएमसी में अपनी संभावनाएं तलाशने में जुटे हैं। इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि 21 जुलाई को शहादत दिवस के मौके पर होने वाले वाले आयोजन के दौरान सिन्हा दीदी के पाले में जा सकते हैं। 

एक वेबसाइट पर चल रही हाल ही में जब समाचार एजेंसी पीटीआई ने शत्रुघन सिन्हा ने टीएमसी में जाने के बाबत सवाल किया था, तब उन्होंने साफ मना कर दिया था। उन्होंने कहा था कि राजनीति संभावनाओं की एक कला है। बहरहाल, सिन्हा के करीबी सूत्रों ने इस संभावना से इंकार नहीं किया है। वहीं टीएमसी नेताओं के भी एक गुट का दावा है कि इस दिशा में बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। इसके मुताबिक बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनके रिश्ते काफी अच्छे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में बंगाल चुनाव के नतीजे आने के बाद शत्रुघन सिन्हा ने ममता बनर्जी की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने ममता को रियल रॉयल बंगाल टाइगर और धनशक्ति और प्रोपोगेंडा के खिलाफ आजमाई हुई नेता बताया था।। 
 
बता दें कि कभी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में शत्रुघन सिन्हा के साथी रहे यशवंत सिन्हा आजकल टीएमसी के उपाध्यक्ष हैं। पटना साहिब से दो बार सांसद रह चुके शत्रुघन सिन्हा ने 2019 में कांग्रेस से चुनाव लड़ा था , लेकिन उन्हें रविशंकर प्रसाद के हाथों मात खानी पड़ी थी। इसके बाद कांग्रेस में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। वहीं ममता बनर्जी 2024 के चुनाव में मोदी के सामने बड़ा चेहरा बनने की कोशिश में लगी हैं। ऐसे में राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है कि शत्रुघन सिन्हा और यशवंत सिन्हा इस दिशा में पार्टी के लिए बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इस बात के भी संकेत हैं कि शत्रुघन सिन्हा को पार्टी राज्यसभा में भी भेज सकती है। 

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