ओणम का मुख्य त्योहार आज, PM मोदी बोले- भाईचारे और सद्भाव से जुड़ा है ये ओणम पर्व

नई दिल्ली
केरल का सबसे प्राचीन और पारंपरिक त्योहार ओणम का आज शनिवार (21 अगस्त) को मुख्य पर्व है। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत 12 अगस्त को हुई थी, जिसका समापन 23 अगस्त को होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओणम की सभी देशवासियों को बधाई दी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है, ''सकारात्मकता, जीवंतता, भाईचारे और सद्भाव से जुड़े त्योहार ओणम के विशेष अवसर पर सभी को शुभकामनाएं। मैं सभी के अच्छे स्वास्थ्य और भलाई के लिए प्रार्थना करता हूं।'' पीएम मोदी ने पहले शुक्रवार (20 अगस्त) की शाम ओणम की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सभी को बधाई दी थी। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था, ओणम के पावन अवसर पर, मैं अपने सभी देशवासियों, खासकर विशेष रूप से देश और विदेश में रहने वाले केरल के भाइयों-बहनों को बधाई देता हूं। आइए इस अवसर पर हम सब मिलकर देश की प्रगति और समृद्धि के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने का संकल्प लें।'' राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा ये त्योहार किसानों के परिश्रम, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, समाज में समरसता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।

कैसे हुई ओणम पर्व की शुरुआत ओणम का पर्व अच्‍छी फसल और प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। ये त्योहार खासकर केरल में मनाया जाता है। ओणम के दौरान केरल की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। ओणम के त्योहार के पहले दिन हर घर की अच्छे से साफ-सफाई होती है, घरों को अच्छे से सजाया जाता है। इसके बाद दूसरे दिन सुबह-सुबह पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि इस दिन राजा बलि का आगमन होता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महाबली नाम का असुर था लेकिन वह अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखता था। उसके राज्य के सभी लोग उस असूर की देवता की तरह पूजा करते थे। कहा जात है कि राजा बलि ने देवराज इंद्र को हराकर इंद्रलोक पर भी अपना कब्जा कर लिया था।

मंदिर का इतिहास गौरवान्वित कर देगा राजा बलि के इंद्रलोक में पहुंचने के बाद मदद के लिए देवराज इंद्र भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु इंद्र को उनका इंद्रलोक दिलाने का वादा किया। इसके बाद श्रीहर‍ि वामन अवतार में राज बलि के पास पहुंचे और वचनों के बहाने ने उन्हें लोक छोड़कर पाताल लोक में जाने को कहा। राजा बलि को राज्य में ना देखकर उनकी प्रजा दुखी और परेशान रहने लगी। इसी को देखकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह साल में तीन बार अपनी प्रजा से मिलने आ सकते हैं। कहा जाता है कि उसी वक्त से ओणम का पर्व मनाया जाता है। 

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