शामली
बेसिक शिक्षा विभाग में तीन साल पहले 23 कनिष्ठ शिक्षकों को नियम विरुद्ध वरिष्ठ शिक्षक बनाकर पदोन्नति का लाभ देने के प्रकरण में बरती गई अनियमितताओं की परतें खुलकर सामने आने लगी हैं। बताया गया कि 2018 में एक माह के अंदर ही इन 23 शिक्षकों को दो बार पदोन्नति का लाभ दिया गया। साथ ही वेतन वृद्धि लागू होने से पहले ही एरियर का भुगतान बिना टीडीएस काटे ही किया गया था। शिकायतकर्ताओं को अपना पक्ष रखने के लिए संयुक्त शिक्षा निदेशक के मंडल कार्यालय बुलाया गया है।
बनत निवासी भाजपा नेता अनुज राणा की शिकायत पर तीन साल पहले 2018 में नियम विरुद्ध 23 शिक्षकों की पदोन्नति के मामले की मंडलायुक्त एवी राजमौलि के आदेश पर की गई जांच में अनियमितता बरते जाने का खुलासा हुआ है। डीएम जसजीत कौर द्वारा नियुक्त जांच अधिकारी अतिरिक्त मजिस्ट्रेट देवेंद्र सिंह ने तत्कालीन बीएसए चंद्रशेखर, बीएसए का अतिरिक्त चार्ज देख रहीं पूर्व डीआईओएस अनुराधा शर्मा और मौजूदा बीएसए गीता वर्मा को लापरवाही का जिम्मेदार ठहराते हुए कार्रवाई की संस्तुति करते हुए रिपोर्ट सौंपी है। इसके अलावा अलग से शासन के निर्देश पर संयुक्त शिक्षा निदेशक सहारनपुर और सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक सहारनपुर को संयुक्त रूप से सौंपी गई हैं।
इस मामले में आज शिकायतकर्ता अनुज राणा के अलावा शिक्षक प्रताप सिंह, शिक्षिका नीलम, अनीता, इंदू चौधरी और रेनू चौहान को जांच हेतु सुनवाई में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए संयुक्त शिक्षा निदेशक के मंडल कार्यालय बुलाया गया है। सूत्रों का कहना है कि दिसंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच इन 23 शिक्षकों समेत अलग-अलग सूची जारी कर करीब 300 शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ दिया गया था। सूत्रों की माने तो इन 23 शिक्षकों का मामला जांच में इसलिए पकड़ में आया है कि इन्हें पहले 24 फरवरी 2018 को पदोन्नति का लाभ दिया गया। इसके अगले महीने 27 मार्च को 31 शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ दिया गया। इन शिक्षकों को एरियर का भुगतान स्वीकृति के तीन दिन बाद ही कर दिया, जबकि वेतन वृद्धि का लाभ दो माह बाद किया गया। एरियर के भुगतान में टीडीएस भी नहीं काटा गया। बताया जा रहा है कि अगर इस प्रकरण की गहनता से जांच की जाए तो बड़ा घपला सामने आ सकता है।
बीएसए कार्यालय में वेतन विसंगति को लेकर पहले भी सवाल खड़े होते रहे हैं। वेतन विसंगति को लेकर दिसंबर 2018 में प्राथमिक शिक्षक संघ ने आठ दिन तक बीएसए कार्यालय पर धरना दिया था। शिक्षक संघ के नेताओं ने समय-समय पर वरिष्ठता सूची के आधार पर पदोन्नति दिए जाने की भी मांग उठाई, लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिले में तैनात सभी शिक्षकों की वरिष्ठता सूची तैयार कर पदोन्नति की जांच की जाए तो बड़े खेल का खुलासा हो सकता है।