ग्वालियर
नए सिरे से बनीं मानसूनी परिस्थितियों के ताजा दौर में जब मध्यप्रदेश और दिल्ली सहित आसपास के कई प्रदेशों में बरसात के लिए अनुकूल माहौल बना हुआ है तब भी ग्वालियर में मानसून रुठा सा है। हाल ये है कि यहां अब बादल तो छाए हैं लेकिन बरसात का कोई अता-पता नहीं। लोग बड़ी उम्मीदों भरी निगाहों से आसमान को देखते हैं और फिर नाउम्मीदी के साथ निराश हो जाते हैं
चिंता की बात ये है कि इस साल के मानसून में ग्वालियर के लिहाज से अब तक का सबसे प्रमुख दिन माने जा रहे 11 जुलाई को भी अंचल को निराशा ही हाथ लगी। लगातार जोरदार बरसात की उम्मीदों वाले बताए जा रहे रविवार को ग्वालियर में 24 घंटे के दौरान केवल 3.5 मिलीमीटर बारिश हो सकी। दरअसल 11 जुलाई को लेकर मौसम विभाग ने अंचल में अच्छी बरसात होने की उम्मीद जताई थी। वहीं इसके बाद आज सुबह से आसमान पर छाए घने बादलों के साथ ठंडी हवाओं के कारण मौसम सुहाना रहा लेकिन धीरे-धीरे धूप ने अपने तेवर दिखाने शुरु कर दिए। हालांकि बीच-बीच में बादलों की आवाजाही भी जारी है लेकिन किसी बड़े बदलाव के आसार काफी कमजोर दिखाई दे रहे हैं।
इन परिस्थितियों में उलझा मौसम
अंचल की ओर बढ़ते मानसून के कल 11 जुलाई तक उत्तर आंध्र प्रदेश-दक्षिण ओडिशा तटों से सटे पश्चिम-मध्य और उससे सटे उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी पर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने के बावजूद ग्वालियर को इसका कोई ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया। साथ ही औसत समुद्र तल पर एक ट्रफ रेखा उत्तर-पश्चिम राजस्थान से पूर्वी राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा होती हुई बंगाल की पूर्व-मध्य खाड़ी तक चलायमान है। यह औसत समुद्र तल से 0.9 किमी तक फैली हुई है। इन मौसम प्रणालियों के प्रभाव में आगामी 5 दिनों के दौरान मध्य प्रदेश में अधिकांश स्थानों से अनेक स्थानों पर वर्षा की संभावना जताई जा रही है।