आक्सीजन परिवहन पर हुए खर्च का भुगतान आपदा कोष से होगा

भोपाल
 कोरोना की दूसरी लहर में रेमडेसिविर सहित अन्य इंजेक्शनों की जरूरत को देखते हुए सरकार ने जहां से भी इंतजाम हुआ, वहां से खरीद की। इसके लिए कंपनियों को सीधे क्रय आदेश दिए गए। राशि का भुगतान भी मुख्यमंत्री सहायता कोष से किया गया। वहीं, आक्सीजन की व्यवस्था के लिए रेल और वायु मार्ग से टैंकर लाए और ले जाए गए। इसमें हुए खर्च का भुगतान भी राज्य आपदा कोष से किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग कैबिनेट में प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा। इंजेक्शनों के लिए लगभग 35 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को प्रस्तावित बैठक में स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए किए गए इंतजामों के भुगतान संबंधी प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा।

विभाग ने कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों को मई अंत तक 2.28 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत का आकलन किया गया था। एक लाख 30 हजार इंजेक्शन माइलेन लैब बिना निविदा के एक हजार 568 रुपये प्रति नग के हिसाब से खरीदे गए। इसके लिए 20.38 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि मुख्यमंत्री राहत कोष से दी गई। इसी तरह केडिला से 49 हजार 560 इंजेक्शन 805 रुपये प्रति नग के हिसाब से खरीदे गए।

बालाघाट, छिंदवाड़ा, दतिया, जबलपुर, बड़वानी, शहडोल, सतना और भोपाल के काटजू सिविल अस्पताल में आक्सीजन संयंत्र की स्थापना के लिए कोयंबटूर की मेसर्स ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड को दो करोड़ 94 लाख रुपये सहित अन्य कार्यों के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष से राशि दी गई। इसके अनुमोदन का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा। इसके साथ ही मेडिकल आक्सीजन टैंकरों के परिवहन पर होने वाला व्यय राज्य आपदा कोष से देने संबंधी प्रस्ताव रखा जाएगा।

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