सुविचार
- हर मनुष्य को बर्बाद करने के लिए उसके अंदर ही अहंकार रूपी बीज होता है, मनुष्य अपने उत्थान और पतन का कारण स्वयं होता है….
कथा के माध्यम से परम पूज्य गुरुजी ने यह बताए कि मनुष्य को हर पल चैतन्य पूर्वक जीने की आवश्यकता होती है , हर मनुष्य को बर्बाद करने के लिए उसके अंदर ही बीज होते हैं, हर मनुष्य का उत्थान होता है तब पतन की बीज भी होती है उत्थान अंदर चला जाता है और पतन के बीज बाहर वृक्ष बनकर उग जाते हैं ,रावण को भी उसके अहंकार (मैं ) ने मारा, भगवान राम कहते हैं कि रावण को हमने नहीं मारा अपितु वह अपने पतन का बीज स्वयं तैयार कर लिया उसके ( मैं ) ने उसे मार दिया । यह सब समाज में भी होता है अपने अहंकार के कारण लोग बर्बाद हो जाते हैं ।
अंत में सत्य की ही जीत होती है सद्गुण की जीत होती है लेकिन वर्तमान में भयभीत होते हैं,आज समाज की यही स्थिति है सद्गुणी व्यक्ति दुर्गुणों से भयभीत हो जाते हैं लेकिन अंत में सत्य की ,सद्गुण की, पवित्रता की ही जीत होती है। सभी वानर राक्षसों से भयभीत होते हैं, लेकिन हनुमानजी जो संत है जिसके अंदर कोई भी विकार नहीं है वह कभी भयभीत नहीं होते है।
-श्रीमती कल्पना शुक्ला