अमेरिकी विमान नहीं आता तो तालिबान हमें मार देता: अफगान पत्रकार 

 काबुल। 
अफगानिस्तान पर जब तालिबानी राज कायम हुआ तो काबुल एयरपोर्ट के रनवे पर हजारों लोग, घबराए और मदद की गुहार लगा रहे थे। लगातार गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाज आ रही थी। ठीक इसी वक्त एक अफगान पत्रकार रमीन रहमान (27) ने हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर अमेरिकी विमान में सवार हो गया। उसने काबुल से निकलने की अपनी पूरी कहानी बयां की है। 

हम काबुल हवाई अड्डे पर थे। हजारों लोग जमा हो गए थे। सभी दहशत में थे। वे तालिबान के आगमन से भयभीत थे। एयरपोर्ट पर पहले से विमान मौजूद थे, लेकिन उन्हें उड़ाने के लिए कोई पायलट उपलब्ध नहीं था। सिर्फ अफगानिस्तान का एक प्राइवट जेट उड़ान भरने के लिए तैयार था। इसकी खबर लगते ही इसमें बड़ी संख्या में लोग कूद पड़े।

उस विमान में एक हजार से ज्यादा लोग सवार थे। लोग प्लेन के अंदर घुसे जा रहे थे और सीढ़ी से भी लटक भी रहे थे। विमान में भीड़भाड़ थी। इसमें कुछ राजनेता भी थे। उनके निजी गार्ड नागरिकों को सीढ़ियों से खदेड़ रहे थे, ताकि विमान उड़ान भर सके। मेरे आस-पास के सभी लोग डरे हुए थे। सभी सलामती की दुआ कर रहे थे। किसी को नहीं पता था कि क्या करना है। मैंने जर्मनी में मौजूद अपने दोस्त से बात की। उसने कहा कि जर्मन अगले दिन तक रेसक्यू ऑपरेशन नहीं चलाएगा। यह सुनने के बाद, मैं टूटा हुआ और निराश महसूस करने लगा। हमें हवाई अड्डे के पहले गेट के बाहर गोलियों की आवाजें सुनाई दीं।

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