अपनों के बीच घिरे इमरान खान, भारतीयों की मिसाल देना पड़ा महंगा 

 इस्लामाबाद  
भारतीय राजनयिकों की तारीफ करना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को महंगा पड़ गया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान देश की विदेश सेवा के अधिकारियों को 'औपिनिवेशिक मानिसकता' से ग्रस्त और 'निष्ठुर' बताकर और भारतीय समकक्षों की प्रशंसा कर आलोचनाओं से घिर गए हैं। इमरान खान ने बुधवार को राजदूतों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए विदेश में मौजूद पाकिस्तानी राजनयिकों द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों के प्रति कथित 'स्तब्ध' करने वाली निष्ठुरता दिखाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी नागरिकों के साथ व्यवहार करने में वे (राजनयिक) 'औपनिवेशिक मानसिकता' के साथ काम करते हैं। 

इमरान खान ने भारतीय राजनयिकों की तारीफ करते हुए कहा, 'भारतीय दूतावास अपने देश में निवेश लाने के लिए अधिक सक्रिय हैं और वे अपने नागरिकों को भी बेहतर सेवाएं दे रहे हैं।' इमरान खान के इस बयान की कम से कम तीन पूर्व विदेश सचिवों ने तीखी आलोचना की है।  पाकिस्तान के इतिहास में पहली महिला विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने ट्वीट किया, 'विदेश मंत्रालय की इस अवांछित आलोचना से बहुत निराश हूं।' उन्होंने कहा कि खान की यह टिप्पणी उनकी विदेश सेवा के प्रति समझ की कमी को इंगित करता है। पूर्व विदेश सचिव सलमान बशीर भी पाकिस्तान की विदेश सेवा के बचाव में उतर आए हैं। 

उन्होंने ट्वीट किया, 'सम्मान के साथ मान्यवर, विदेश मंत्रालय और राजदूतों के प्रति आपकी नाराजगी और आलोचना को गलत समझा जाता है। सामान्य तौर पर समुदाय की सेवा अन्य विभागों में निहित है जो पासपोर्ट और राजनयिक सत्यापन आदि का काम देखते हैं। हां, मिशन को अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए।'  बशीर ने कहा कि पाकिस्तान विदेश सेवा और विदेश कार्यालय ने वह किया जो करना चाहिए और वह प्रोत्साहन और समर्थन का हकदार है। 

 

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