अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस: सार्वभौमिक समझ को बढ़ावा देना गुरुदेव श्री श्री रविशंकर

अध्यात्म/धर्म 

शांति केवल संघर्ष या हिंसा का अभाव नहीं है। यह एक सकारात्मक आंतरिक घटना है। जब हम विश्व शांति की बात करते हैं तो हम एक आवश्यक सत्य को भूल जाते हैं कि विश्व शांति या बाहरी शांति व्यक्तियों की स्वयं के साथ शांति के बिना असंभव है।

आंतरिक शांतिInternational Day of peace iStock 1200

आंतरिक शांति से तात्पर्य है शांत मन, तीव्र बुद्धि,  सकारात्मक और कोमल भावनायें, स्वस्थ शरीर और एक ऐसा हृदय जो सेवा के लिए सदा तत्पर है और हमारे व्यवहार में दयालुता को दर्शाता है।

नैतिकता की आवश्यकता

एक शांतिपूर्ण दुनिया को आकार देने के लिए उन नैतिक मूल्यों की ओर बढ़ने का समय आ गया है जो किसी भी मानव समाज का आधार बनते हैं। नैतिकता क्या है? दूसरों के साथ वह मत करो जो तुम नहीं चाहते कोई तुम्हारे साथ करे। यदि आप नहीं चाहते कि कोई आपके धार्मिक अभ्यास में बाधा डाले तो आपको दूसरों के अभ्यास में बाधा नहीं डालनी चाहिए। यदि आप नहीं चाहते हैं कि कोई आपका नुकसान करे तो आपको किसी और को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। हमें अपनी पहचान बनाए रखनी है और साथ ही दूसरों की पहचान का सम्मान करना है।

आंतरिक शांति से बाहरी शांति की ओर

आंतरिक शांति विश्व शांति की कुंजी है। अगर लोगों को अपने अंदर के इस शांतिपूर्ण स्थान तक पहुंच प्राप्त हो जाए तो बाहरी शांति एक वास्तविकता बन सकती है। आंतरिक शांति की इस खोज में दुनिया की वास्तविक प्रकृति का ज्ञान मदद करता है। यह जानकर कि सब कुछ बदलने वाला है और सब कुछ बदल रहा है, यह जागरूकता कि एक दिन सब कुछ समाप्त हो जाएगा, आपको मन की चिंता की प्रवृत्ति से बाहर निकाल सकती है। अतीत में बहुत सी चीजें हुई हैं, कुछ सुखद और कुछ अप्रिय और वे सब चली गई हैं। जब आप देखते हैं कि सब कुछ बदल रहा है, सब कुछ विलीन हो रहा है, तब आप दृढ़ फिर भी कोमल  और केंद्रित बने रहते हैं।

आत्मा को विविधता प्रिय है

इस ग्रह पर केवल एक प्रकार के फल, एक प्रकार के लोग या एक प्रकार के पशु नहीं हैं। तो आइए चेतना को एक पंथ तक सीमित न रखें। आइए उन सभी के प्रति आदर, सम्मान और प्रेम के द्वारा सृष्टि में विद्यमान  विविधता का आनंद लें। हम अक्सर ‘धार्मिक सहिष्णुता’ शब्द का प्रयोग करते रहे है, मुझे लगता है कि ये शब्द अब अप्रचलित हो गए हैं। आप केवल वही सहन करते हैं जो आपको पसंद नहीं है। एक-दूसरे के धर्मों को अपना समझकर प्रेम करने का समय आ गया है। कोई धर्म महान है केवल इसलिए नहीं कि वह मेरा धर्म है; बल्कि इसमें जो सार है उसके कारण यह अच्छा है। जब आध्यात्मिक और धार्मिक क्षेत्र में लोगों का नेतृत्व करने वाले सभी लोगों में यह समझ समाहित हो जाएगी तो हमारी सुंदर दुनिया में चल रही कट्टरता को समाप्त कर देगी। जीवन के बारे में व्यापक दृष्टिकोण धारण करने के लिए लोगों को अन्य धर्मों और संस्कृतियों के बारे में थोड़ा सा समझने के लिए शिक्षित करने की आवश्यकता है। ध्यान और सार्वभौमिक भाईचारे के बिना, जो आध्यात्मिकता का सार है, धर्म सिर्फ एक बाहरी आवरण के रूप में रहता है।

हमें बस इतना करना है कि हम शांति के उस जलाशय की खोज करें जो हम हैं। शांतिपूर्ण लोग एक शांतिपूर्ण सुंदर दुनिया का निर्माण करेंगे जहां विविधता, दया और सेवा का सम्मान किया जाता है।