फसलों के सुरक्षित भंडारण से हर व्यक्ति को मिल सकती है पोषण सुरक्षा : डॉ. चंदेल

रायपुर,

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षाें में देश में अनाज, दलहन एवं तिलहन फसलों के उत्पादन में काफी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है लेकिन भण्डारण के दौरान 12 से 15 प्रतिशत उपज की क्षति कीटों एवं बीमारियों द्वारा हो जाती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराने हेतु फसल के हर एक दाने को बचाये जाने की जरूरत है इसलिए फसलों का सुरक्षित भण्डारण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने किसानों से आव्हान किया कि वे कटाई के पश्चात अपनी फसलों का भण्डारण सुरक्षित तरीके से करें। डॉ. चंदेल आज यहां कृषि महाविद्यालय रायपुर के सभागार में ‘‘दाना-दाना कीमती है’’ अनाज बचाओ अभियान के तहत आयोजित एक दिवसीय किसान जागरूकता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा यूनाइटेड फास्फेट लिमिटेड मुम्बई के सहयोग से किया गया। अनाज बचाओ अभियान के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों के सहयोग से प्रदेश के 100 गांवों में किसान जाकरूकता सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए संचालक अनुसंधान डॉ. पी.के. चन्द्राकर ने कहा कि इस सम्मेलन के आयोजन का मुख्य उद्देश्य फसलों की कटाई के उपरान्त भण्डारण के दौरान होने वाले नुकसान को कम करना है। उन्होने कहा कि फसलों के भण्डाराण के दौरान अनेक कीडे़-मकोड़ो एवं व्याधियों द्वारा क्षति पहुंचाई जाती है। डॉ. चन्द्राकर ने कहा कि फसलों में नमी की मात्रा कम कर एवं उपयुक्त तापक्रम तथा उचित विधि से फसलों का भण्डारण करने पर इस क्षति को काफी कम किया जा सकता है और दानों लम्बे समय तक सुरक्षित तरीके से भण्डारित किया जा सकता है। यूनाइटेड फास्फेट लिमिटेड के तकनीकी सलाहकार श्री युवराज राणा ने कहा कि आज भी 60 से 70 प्रतिशत फसलों का भण्डारण किसानों के घरों में किया जाता है और केवल 30 से 40 प्रतिशत फसलों का भण्डारण भारतीय खाद्य निगम तथा अन्य संस्थाओं के गोदामों में किया जाता है। उन्होंने कहा कि यू.पी.एल. द्वारा फसलों के सुरक्षित भण्डारण के लिए सुपर ग्रेन बैग निर्मित किया गया है, जिसमें गैर रसायनिक तरीके से सूखा अनाज कफी लंबे समय तक भण्डारित किया जा सकता है। यह बैग जैविक फसलों के भण्डारण में भी उपयोग किया जा सकता है। इस अवसर पर खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एम.पी. त्रिपाठी, अधिष्ठाता छात्रकल्याण डॉ. जी.के. श्रीवास्तव, यूनाइटेड फास्फेड लिमिटेड के व्यवसाय प्रमुख (फ्यूमिगेन्ट) उज्जवल कुमार सहित उनेक कृषि वैज्ञानिक तथा बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

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