गुरु पूर्णिमा महोत्सव अत्यंत धूमधाम के साथ मनाया गया …….

वाणी शीतल चन्द्रमा, मुख-मण्डल सूर्य समान, गुरु चरणन त्रिलोक है, गुरु अमृत की खान

अध्यात्म ll श्रीमती कल्पना शुक्ला l 

वाणी शीतल चन्द्रमा, मुख-मण्डल सूर्य समान,          

गुरु चरणन त्रिलोक है, गुरु अमृत की खान

डेहरी ऑन सोन (बिहार) में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन समस्त शिष्य, शिष्याओ की ओर से किया गया जिसमें बड़ी संख्या में शिष्य शिष्याए उपस्थित रहे, डेहरी आन सोन ,औरंगाबाद ,बिहार ,रायपुर, बिलासपुर ,कोरबा, भिलाई ,गुरुग्राम, प्रयागराज ,सासाराम,एनसीआर, अनेक जगह से शिष्य गण गुरु दर्शन के लिए गुरु चरणों में प्रेम, भाव -भक्ति अर्पण करने के लिए उपस्थित हुए । गुरु वंदना के बाद मंत्रोपचार के साथ आचार्य जी के द्वारा गुरु पूजन कराया गया, उसके बाद शिष्य अपनी उद्गार गुरु के प्रति व्यक्त किए ।

परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) के द्वारा शिष्यों के लिए आशीर्वचन में यह बताए कि गुरु अर्थात गुरु एक बहुत बड़ा शब्द है जिसमें गु का अर्थ गुणातीत ।अर्थात गुरु रज , तम और सत् से ऊपर उठ चुके होते हैं और रू अर्थात रूप । गुरु का अपना रूप नहीं होता जैसे परमात्मा का स्वरूप होता है भगवान का रूप होता है परमात्मा हम सबके लिए राम के रूप में कृष्ण के रूप में प्रकट होते हैं गुरु भी परमात्मा का रूप होता है और हम सबको परमात्मा का साक्षात्कार करा देते है।

महर्षि वेदव्यास जी का जन्मदिन को हम गुरुपूर्णिमा के रूप में मनाते हैं जो महाभारत की रचना किए थे और अनेक ग्रंथ लिखे । आज उसके जन्मदिन के साथ हम अपने गुरु का पूजन करते हैं उनके चरणों में अपना भाव अर्पण करते हैं और जो भी शिष्य, शिष्याए आज के दिन गुरु दर्शन करते है भगवान शिव उनको आशीर्वाद प्रदान करते हैं। भगवान स्वयं देखते हैं कि कौन सा शिष्य अपने गुरु दर्शन के लिए आया है।

जल के उदाहरण देकर गुरु जी यह बताएं कि जिस प्रकार हम जल को पकड़ नहीं सकते उनका अपना स्वरूप होता है लेकिन यदि बर्फ बन जाए तो उसका रूप हो जाता है हम पकड़ सकते हैं ठीक उसी तरह भगवान का अपना रूप होता है लेकिन परमात्मा का अपना स्वरूप होता है। युग बदल जाता है इंसान बदल जाते हैं लेकिन हर युग में गुरु होते हैं गुरु की मार्गदर्शन की आवश्यकता हमेशा होती है। सभी के मन में काफी उत्साह रहा चारों तरफ जय मां की गूंज हो रही थी सभी गुरु भाई आपस में बड़े प्रेम से मिले । महा आरती के बाद भोग भंडारा में प्रसादी वितरण किया गया,उसके बाद अपने अपने स्थान के लिए प्रस्थान किए l

 

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