NMDC : एनएमडीसी और फिक्की ने भारतीय खनिज और धातु उद्योग पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया

नई दिल्ली

भारत की प्रमुख खनन कंपनी एनएमडीसी ने फिक्की के सहयोग से 23 और 24 अगस्त को ताज पैलेस, डिप्लोमेटिक एन्क्लेव, नई दिल्ली में ‘ट्रांजिशन टूवर्ड्स 2030 एंड विजन 2047’ विषय पर भारतीय खनिज और धातु उद्योग पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया।

इस सम्मेलन का आयोजन भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में इस्पात मंत्रालय और खान मंत्रालय के सहयोग से किया गया । इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य विजन 2047 को प्राप्त करने के लिए खनिज और धातु उद्योग के लिए रोडमैप पर विचार-विमर्श करना था। कार्यक्रम में उद्योग, नीति और शिक्षा जगत के वक्ताओं ने भाग लिया। भाग लेने वाले संगठनों में खनिज उद्योग में वैश्विक और घरेलू उत्पादक, खान उपकरण निर्माता, वैश्विक कॉर्पोरेट और सरकारी संगठन शामिल थे।

श्री प्रह्लाद जोशी, माननीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे और श्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया माननीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री विशिष्ट अतिथि थे। श्री सुमित देब, सीएमडी, एनएमडीसी; श्री संजीव मेहता, अध्यक्ष, फिक्की; और श्री डी के मोहंती, निदेशक उत्पादन भी उद्घाटन सत्र में उपस्थित थे।

श्री प्रह्लाद जोशी, माननीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “एमएमडीआर अधिनियम में सुधार के परिणामस्वरूप, पिछले 7 वर्षों में विभिन्न प्रमुख खनिजों के 190 ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है और अकेले इस वित्तीय वर्ष में, हमने 36 खनिज ब्लॉकों की नीलामी की है। एमएमडीआर अधिनियम में आगामी संशोधन प्रणाली को और सरल बनाएंगे, इसे व्यवसायों के लिए अधिक आकर्षक बनाएंगे, खनिज अन्वेषण पर जोर देंगे और देश में खनिज उत्पादन में वृद्धि करेंगे। हम वर्ष 2030 तक आयात कम करने और 2047 तक आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ रहे हैं।“

विशिष्ट अतिथि श्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया, माननीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ने उल्लेख किया कि भारत इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। उन्होंने आगे कहा, “हम वैश्विक इस्पात परिदृश्य में एक ताकत के रूप में उभरे हैं। राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 का उद्देश्य क्षमता निर्माण, उत्पादन वृद्धि, एमएसएमई क्षेत्र के विस्तार, कच्चे माल की सुरक्षा में सुधार, आयात निर्भरता में कमी और इस्पात निर्माण के लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना है। अगले दशक में प्रौद्योगिकी ध्यान का प्रमुख केंद्र होगा, जिससे घरेलू खपत के लिए मूल्य वर्धित इस्पात के उत्पादन के साथ-साथ निर्यात में भी वृद्धि होगी।“

श्री सुमित देब , सीएमडी ,एनएमडीसी ने राष्ट्र निर्माण में एनएमडीसी के योगदान के बारे में बताते हुए कहा कि, “एनएमडीसी भारत में लौह अयस्क उत्पादन में सबसे आगे है। वित्त वर्ष 2022 में लौह अयस्क का कुल उत्पादन 42 मिलियन टन से अधिक था, जो भारत में सभी लौह अयस्क उत्पादकों और खनिकों में सबसे अधिक है। एनएमडीसी का दृष्टिकोण राष्ट्रीय इस्पात नीति के दृष्टिकोण के अनुरूप है क्योंकि इसका उद्देश्य 2025 तक वार्षिक लौह अयस्क उत्पादन क्षमता को 67 मिलियन टन और 2030 तक 100 मिलियन टन तक बढ़ाना है। इसे प्राप्त करने के लिए, हम अत्याधुनिक तकनीक के साथ अपनी खानों में क्षमता बढ़ाने और संचालन को अपग्रेड करने के लिए अपनी पहल को तेजी से आगे बढा रहे हैं।

श्री डी के मोहंती , निदेशक (उत्पादन) एनएमडीसी ने कहा, “उत्पादन, अन्वेषण और टर्नओवर जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अब तक के उच्चतम समग्र प्रदर्शन के साथ, एनएमडीसी आने वाले दशक के लिए अपनी वृद्धि, विस्तार और विविधीकरण योजनाओं पर उत्साहित है। सरकार के उपायों और सुधारों के समर्थन से , भारतीय खनिज और धातु उद्योग का भविष्य उज्ज्वल प्रतीत होता है।“ उन्होंने कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए गणमान्य व्यक्तियों, वक्ताओं और आयोजकों को धन्यवाद भी दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत श्री संजीव मेहता, अध्यक्ष, फिक्की के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कहा, ‘खनिज और धातु अर्थव्यवस्था के औद्योगीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खनन उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2% का योगदान देता है और खनन और उत्खनन की प्रत्येक 1%  वृद्धि का औद्योगिक उत्पादन में 1.2% से 1.4% वृद्धि दर का तदनुरूप प्रभाव पड़ता है जो बदले में भारत की जीडीपी विकास दर में लगभग 0.3% का योगदान दे सकता है।“

सम्मेलन के दूसरे दिन के सत्रों में ‘खनिज उद्योग में प्रौद्योगिकीय नवाचार’ और ‘खनिज एवं धातु क्षेत्र में वृद्धि के लिए सहायक कारक’ जैसे विषय शामिल होंगे।