Media Law and Ethics : मीडिया कानून और नैतिकता मूल सिद्धान्तों की जानकारी अनिवार्यतः होनी चाहिए

Media Law and Ethics
Media Law and Ethics

Media Law and Ethics : मीडिया कानून और नैतिकता

( साभार उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय पत्रकारिता और मीडिया अध्ययन स्कूल  )

भारतीय संविधान की अवधारणा

प्रस्तावना

Media Law and Ethics : मीडिया से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के मूल सिद्धान्तों की जानकारी अनिवार्यतः होनी चाहिए। साथ ही यह भी जानना चाहिए कि संविधान के अनुसार प्रेस को सशक्त करने लेकिन साथ ही समाज के प्रति उत्तरदायी बनाने की भी व्यवस्था की गई है। इस इकाई में विद्यार्थियों  को  भारत के संविधान की अवधारणा, विशेषताएँ, नागरिको  के मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्वो की जानकारी दी जायेगी।

पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है जो न्यायपालिका, व्यवस्थापिका तथा कार्यपालिका में से एक है। इनमें से  सर्वोपरि न्यायपालिका है। इसलिए पत्रकारिता जगत में इच्छा रखने वाले सभी विद्यार्थियो  को  संविधान की अवधारणा से परिचित होना आवश्यक है।


यह भी देखें:   Patrakarita: हिंदी पत्रकारिता का उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए

उद्देश्य

पत्रकारिता के छात्र के लिए भारतीय संविधान का प्रारम्भिक ज्ञान अपरिहार्य है। इसके बिना कोई भी पत्रकार अपना दायित्व सुचारू ढंग से निभा नहीं सकता। इस इकाई का उद्देश्य भारतीय संविधान का एक सरल परिचय करवाना है ताकि पत्रकारिता के छात्र को संविधान का अर्थ  समझने में आसानी हो ।

Media Law and Ethics : इस इकाई के अध्ययन से आप

1 भारतीय संविधान की भूमिका में लिखित संविधान की अवधारणा के विषय में जान पाएँगे ।

2 भारत की संघीय व्यवस्था के विषय में जान सकेंगे ।

3 नागरिकों के मौलिक अधिकारों  के विषय में जान सकेंगे ।

4  संविधान में किये जाने वाले संशोधन की प्रक्रिया के विषय में जान पायेंगे ।

5  भारतीय संविधान की विशेषतायें जान सकेंगे ।

6 अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को  समझ सकेंगे ।

7  अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता तथा प्रेस की स्वतन्त्रता के बीच समानता तथा अन्तर को समझ सकेंगे।

Media Law and Ethics : भारत का संविधान

प्रत्येक देश में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों  से  सम्बन्धित अपने नियम व कायदे होते हैं  जो उस देश की परम्पराओं  तथा नीतियों के अनुरूप देश को  व्यवस्थित रूप से  उन्नति करने तथा समाज में शांति , सौहार्द, सुरक्षा तथा विकासपरक माहौल का निर्माण करने में सहायक होते हैं । ऐसे नियमों  के संकलन को ही हम देश का संविधान कहते हैं ।

ये  वे नीति निर्धारक कानून हैं  जो  देश की दिशा तय करते हैं  तथा विभिन्न परिस्थितियों  के लिये सर्वमान्य व न्यायपरक समाधान प्रस्तुत करते हैं ।

देश की सामाजिक, आर्थिक व भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप हर देश के संविधान अपनी कुछ विशेषताऐं होती हैं । जैसे इंग्लैण्ड का संविधान अलिखित हो ते हुए भी विकसित तथा लचीला है जबकि यूएसए का संविधान लिखित किन्तु संक्षिप्त व साथ ही कठोर है। हमारे देशका संविधान लिखित, विस्तृत तथा कठोर किन्तु लचीलापन लिये हुए है।

भारत का संविधान मुख्यतः अमेरिका,ग्रेट ब्रिटेन तथा आयरलैंड के संविधान से  प्रेरित है। इसमें इन तीनों  देशों  के संविधान से  चुनिंदा तत्व लिये गये हैं । ग्रेट  ब्रिटेन के संविधान में संसद की संप्रभुत्ता है जबकि अमेरिका के संविधान में न्यायिक सर्वोच्चता का सिद्धान्त अपनाया गया है।

भारतीय संविधान में इन दोनों  प्रकार की सर्वोच्चता के मध्य संतुलन कायम रखते हुए विभिन्न परिस्थितियों  में दोनों को  महत्वपूर्ण  स्थान प्रदान किया गया है। जहाँ एक ओर  संसदीय

व्यवस्था के तहतसं सद की सर्वोच्चता स्वीकार की गई है वहीं सर्वोच्च न्यायालय को  संविधान की व्याख्या ( interpretation ) करने व संविधान के विरूद्ध नियम को अवैध घोषित करने का अधिकार दिया गया है जबकि न्यायालय की शक्तियों के निर्धारण का अधिकार संसद को  प्रदान किया गया है।

इसी प्रकार आयरलैंड के संविधान से  नीति निर्देशक तत्व (Directive Principles of state policy ) लिये  गये  हैं । 42वें संविधान संशोधन द्वारा संसदीय प्रमुखता को  कुछ अधिक बल प्रदान किया गया था किन्तु शीघ्र ही 43वें संविधान संशोधन द्वारा पूर्व की स्थिति पुर्नस्थापित कर दी गई थी।

ग्रेट ब्रिटेन का सं विधान बहुत लचीला है व इसमें परिवर्तन आसान है जबकि अमेरिकी संविधान कठोर यानि इसमें परिवर्तन आसान नहीं  है। किन्तु भारतीय संविधान कठो र होते हुए भी लचीला है यानि इसमें परिवर्तन आसान नहीं है लेकिन अत्यन्त दुष्कर भी नहीं।

संविधान के कुछ प्रावधान यथा नागरिकता, नए राज्यों  का गठन आदि मामलों में संसद में सामान्य बहुमत से  निर्ण य लिया जा सकता है जबकि नागरिकों के मौलिक अधिकार या नीति निर्देशक तत्वों  के मामले में संसद में उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों  के दो -तिहाई बहुमत से  ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।

इसके अलावा संसद में राज्यों  के प्रतिनिधित्व, उच्चतम न्यायालय के क्षेत्राधिकार, राष्ट्रपति के चुनाव आदि मामलों में को ई परिवर्तन संसद के दो-तिहाई बहुमत के अलावा देश के आधे से  अधिक राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अनुमोदन के  बाद ही किया जा सकता है।

हमारे संविधान में पिछड़े वर्गों  के कल्याण व उत्थान तथा उनके धार्मिक, भाषायी और  सांस्कृतिक हितों  की रक्षा का प्रावधान किया गया है। अनुसूचित जातियों व जनजातियों  के नागरिकों को लोकसेवा , संसद तथा विधानसभाओं में आरक्षण दिया गया है। संविधान द्वारा आरक्षण की व्यवस्था प्रारम्भ में केवल 1960 तक के लिये की गई थी बाद में विभिन्न संशोधनों  द्वारा इसे विस्तारित किया जाता रहा है।

संविधान की उद्देशिका में परिगणित आदर्श  संविधान की प्रस्तावना उन उद्देश्यों  को  प्रदर्शित करती है जिन्हें प्राप्त करने का लक्ष्य संविधान के मूल में निहित होता है। यह एक ऐसाधागा है जिसके चारों  ओर  विभिन्न नियम-अधिनियम पिरोए जाते हैं। इस प्रकार इन सभी का मूल भाव व प्रेरक तत्व एक समान रहता है जो  इनकी दिशा तय करता है।

हमारे  संविधान में वह मूल धागा जिसके चारों ओर अधिनियमों  का ताना-बाना बुना गया है वह है सर्वप्रभुत्व सम्पन्न लोकतन्त्रात्मक गणराज्य जो  कि समाजवादी तथा धर्मनिरपेक्ष राज्य है।

(Sovereign Democratic Republic- Socialist and Secular State)

Media Law and Ethics : भारत के  संविधान की विशेषताएँ

भारत का सं विधान विश्व के तमाम लोकतांत्रिक देशों  में सबसे अनूठा और  सबसे श्रेष्ठ है। यह संविधान विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था को  सुचारू ढंग से  चलाने में कामयाब भी रहा है। इसलिए भी इसे सर्वश्रेष्ठ कहा जा सकता है।

भारतीय संविधान की उद्देशिका  (Preamble)

हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण  प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोक तन्त्रात्मक गणराज्य बनाने को  लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को  सामाजिक, आर्थिक और  राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और  उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने  के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और  अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़  सं कल्प हो कर अपनी इस सं विधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई. (मिति मार्ग शीर्ष  शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छः विक्रमी ) को  एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।

Media Law and Ethics : भारत के संविधान में नागरिकों  की स्वतन्त्रता पर पूरा ध्यान दिया गया है। इसकी प्रमुख विशेषताऐं निम्नवत् हैं  : –

(1)  भारत सर्वप्रभुत्व सम्पन्न लोक तंत्रात्मक गणराज्य  घोषित

Media Law and Ethics : संविधान निर्माताओं ने भारत को सर्वप्रभुत्व सम्पन्न लोक तंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया। तात्पर्य यह है कि भारत अपने राज्य के भीतर लागू  होने वाले नियम कानूनों  का निर्धारण स्वयं अपनी इच्छा से करे  तथा इसमें को ई विदेशी हस्तक्षेप न हो । इसी प्रकार अन्तरराष्ट्रीय मंच पर उसकी निजी पहचान होती है और वह अन्तरराष्ट्रीय समझौतों को अपने विवेक व इच्छा से ही स्वीकार करेगा।

लोकतन्त्रात्मक से अभिप्राय है जनता का शासन जनता के द्वारा जनता के लिये अर्थात देश का शासन जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही चलाते हैं। गणराज्य शब्द से तात्पर्य है जनता के शासन से अर्थात् ऐसी राज व्यवस्था जिसकी सर्वोच्च शक्ति आम जनता तथा जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों में सन्निहित है। इस प्रकार देश के सर्वोंच्च पद तक देश का कोई भी आम नागरिक भी पहुँच सकता है ।

समाजवादी शब्द भारतीय संविधान की उद्देशिका में 1976 में जो ड़ा गया। भारतीय परिप्रेक्ष्य में  इसका अर्थ  है एक ऐसा देश जिसके सभी नागरिकों को आम तथा मूलभूत सुविधाऐं समान रूप से  उपलब्ध हों  यह इस रूप में  ब्ंचपजंसपेज स्वरूप से  भिन्न है।

इसी प्रकार यद्यपि संविधान निर्माताओं ने देश को एक धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित किया था लेकिन इस शब्द को भी संविधान की उद्देशिका में 1976 में ही शामिल किया गया।

धर्म निरपेक्ष राज्य व्यवस्था का अर्थ है ऐसी व्यवस्था जिसमें सभी धर्मों  को समान स्वतन्त्रता प्राप्त है तथा सरकार की नजर में को ई भी धर्म किसी दूसरे  से अधिक या कम महत्वपूर्ण  नहींहै। यहॉं के नागरिकों में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं  किया जा सकता। यह व्यवस्था सभी धर्मों  के प्रति समान रूप से आदर का भाव रखती है।

2)  नागरिक को समान सामाजिक अधिकार

भारत का संविधान यह भी सुनिश्चित करता है कि देश के नागरिकों  में अमीर-गरीब, लिंग के आधार पर तथा जाति अथवा धर्म के आधार पर कोई भेदभाव न किया जाए तथा प्रत्येक नागरिक को समान सामाजिक अधिकार तथा विकास के मौके उपलब्ध रहें। हमारा संविधान देशके नागरिकों  को  एक समान सामाजिक व आर्थि क न्याय सुनिश्चित करता है।

3) वृहद् स्वरूप तथा लिखित रूप में होना

Media Law and Ethics : इस संविधान की एक प्रमुख विशेषता इसका वृहद् स्वरूप तथा लिखित रूप में होना है। अमेरिका जैसे विकसित तथा पुराने लोकतंत्र के मुकाबले भी यह बहुत ज्यादा विस्तृत तथा व्यापक है। हमारे संविधान के 395 अनुच्छेद और  9 परिशिष्ट हैं। इस प्रकार यह विश्व का सर्वाधिक विस्तृत सं विधान है। यहाँ उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन का संविधान अलिखित है तथा अमेरिका का संविधान अत्यन्त संक्षिप्त (7 अनुच्छेद) हैं ।

(4) Media Law and Ethics :  हमारे संविधान की अन्य विशेषताएँ निम्न हैंः

1. भारतीय गणतन्त्र विभिन्न राज्यों का एक संघ है। वर्तमान में देश में दिल्ली सहित कुल 29 राज्य हैं। विभिन्न शक्तियों व अधिकार केन्द्र व राज्यों को सौंपे गए हैं। कुछ अधिकार समान रूप से दोनों के मध्य विभाजित हैं।

2. हमारी न्यायपालिका को किसी भी प्रकार के राजनैतिक या प्रशासनिक दबाव से मुक्त तथा स्वतन्त्र रखा गया है।

3. देश के नागरिकों को सात मौलिक अधिकार प्राप्त हैं जिनमें समानता का अधिकार, स्वतन्त्रता का अधिकार, शाेषण के विरूद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार, सांस्कृतिक एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार, सम्पत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है।

4. Media Law and Ethics : इन अधिकारों के साथ ही 42वें संविधान संशाेधन के माध्यम से 1976 में नागरिकाें केदस मूल कर्तव्यों को भी जोड़ा गया है जिनमें संविधान, राष्ट्रध्वज व राष्ट्रगीत का सम्मान, स्वतन्त्रता संग्राम के आदर्शों का अनुसरण, देश की संप्रभुता, एकता व अखंडता की रक्षा, आवश्यकतानुसार देश की रक्षा, साम्प्रदायिक सद्भाव और महिलाओं का सम्मान, पर्यापरण और वन्यजीव संरक्षण, सांस्कृतिक विरासत की रक्षा, वैज्ञानिक रुझान, मानवता और सुधार की भावना का विकास, सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा व हिंसा की रोकथाम तथा उत्कृष्टता की ओर प्रयास शामिल हैं।

Media Law and Ethics : उन विशेषताओं के अतिरिक्त भारतीय सं विधान की कुछ अन्य विशेषताएँ भी हैं जिनका उल्लेख भी यहाँ आवश्यक है।

ये विशेषताएँ निम्न प्रकार है : – इसके अनुसार देश के नागरिकों को इकहरी नागरिकता ( single citizenship ) दी गई है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका आदि अनेक देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है एक राज्य की दूसरी राष्ट्र की लेकिन हमारे देश में राष्ट्र को सर्वोपरि रखा गया है तथा प्रत्येक नागरिक भारत का नागरिक है जिससे विभिन्न राज्यों के नागरिकों में एकता परिलक्षित हो न कि वैमनस्य ।

देश की न्यायपालिका का स्वतन्त्र होना इसकी एक बड़ी विशेषता है। इस प्रकार भारतीय लोकतंत्र के चार स्तम्भ माने जाते हैं जो उसे हर स्थिति में सम्भाले रहते हैं तथा मजबूती प्रदान करते हैं ।

ये हैं विधायिका ( Legislature ), कार्यपालिका ( Executive ), न्यायपालिका ( Judiciary) तथा प्रेस (press )।


  • समाजवादी शब्द भारतीय सं विधान की उद्देशिका में 1976 में जोड़ा गया।
  • हमारा संविधान देश के नागरिकों को एक समान सामाजिक व आर्थिक न्याय सुनिश्चित करता है।

भारत विभिन्न राज्यों का एक संघ है किन्तु राज्यों व केन्द्र में शक्ति का बंटवारा इसप्रकार है कि यह व्यवस्था न तो एकात्मक है न ही संघात्मक अर्थात् न तो सारी शक्ति केन्द्र में निहित है और न ही राज्यों में। यह इन दोनों पद्धतियों के एक सुन्दर तालमेल काअद्भुत नमूना है।


यह भी देखें:   Current Affairs : फरवरी 2024 समसामयिकी घटना चक्र

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here