CDS : देश के वीर सपूत भारत के पहले रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत की स्मृति शेष 

भारत के पहले रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत की स्मृति शेष 

स्मृति शेष 

जनरल बिपिन रावत

भारत के पहले रक्षा प्रमुख या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) थे; उन्होंने ने 1 जनवरी 2020 को रक्षा प्रमुख के पद का भार ग्रहण किया। इससे पूर्व वो भारतीय थलसेना के प्रमुख थे। रावत 31  दिसंबर 2016  से 31  दिसंबर 2019  तक थल सेनाध्यक्ष के पद पर रहे, दिसम्बर 2021 को उनका हैैलीकाॅप्टर 63 वर्ष की आयु मे दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

पारवारिक पृष्ठ भूमि 

इनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में राजपूत परिवार मे हुआ । ये रावत है ,जो गढ़वाल के उत्तराखंड के राजपूत की शाखा है। जनरल रावत की माताजी परमार वंश से है। जनरल रावत की माता सुशीला देवी का मायका यानी कि रावत का ननिहाल उत्तरकाशी जिले के थाती धनारी गांव में था। उनके नाना ठाकुर साहब सिंह परमार थे। उनके छोटे नाना ठाकुर कृष्ण सिंह विधायक और संविधानसभा के सदस्य थे। इनके पुर्वज मायापुर/हरिद्दार से आकर गढवाल के परसई गांव मे बसने के कारण परसारा रावत कहलाये । रावत एक मिल्ट्री टाईटल है जो विभिन्न राजपूत शासको को दिए गये थे| इनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह जी रावत, जो सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए। रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की थी

16 मार्च 1958 को देहरादून में जन्मे जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे। वह एक सिपाही से सेना के दूसरे नम्बर के शीर्ष पद तक पहुंचे थे जो कि उनकी बहादुरी और काबिलियत का प्रमाण था। ऐसे बहादुर सैनिक के घर जन्मे बिपिन को शौर्य और देश के लिए समर्पण के संस्कार अपने परिवार से मिले थे। रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी , देहरादून से शिक्षा ली , जहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ़ ऑनर ‘ दिया गया। वह फोर्ट लीवनवर्थ , यूएसए में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज , वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के स्नातक भी हैं। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में एमफिल , प्रबंधन में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया है। 2011 में, उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय , मेरठ द्वारा डॉक्टरेट ऑफ़ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया।

सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि वह सेवा निवृत होने के बाद अपने पैतृक गांव तथा पैतृक ननिहाल के गांव में कुछ काम करेंगे। सेना के शीर्ष पद पर पहुंचने के बावजूद उनका अपने पूर्वजों की जन्मभूमि उत्तराखण्ड के पहाड़ों से अटूट लगाव रहा। वह पहाड़ की संस्कृति से भी भावनात्मक रूप से जुडे रहे।

थल सेनाध्यक्ष बनने के बाद वह 30 अप्रैल 2018 को अपने मूल गांव सैण पहुंच कर गांववासियों से आत्मीय ढंग से मिले। उस दिन उन्होंने सेना का हेलीकाप्टर गढ़वाल रायफल्स रेजिमेंटल सेंटर लैंसडाउन ही छोड़ दिया था और कार से अपने गांव चल दिये थे। गांव तक सड़क न होने के कारण उन्हें 1 किमी लम्बी खड़ी चढ़ाई पैदल चढ़नी पड़ी। उन्हें गांव में अपने चाचा, चाची और गांव के भाई बान्धवों से मिल कर अपार खुशी मिली थी।

शिक्षा

बिपिन रावत ने भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक उपाधि प्राप्त की है, आई एम ए देहरादून में इन्हें ‘सोर्ड ऑफ़ ऑनर’ से सम्मानित किया गया था। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से रक्षा एवं प्रबन्ध अध्ययन में एम फिल की डिग्री। मद्रास विश्वविद्यालय से स्ट्रैटेजिक और डिफेंस स्टडीज में भी एम फिल। 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सैन्य मीडिया अध्ययन में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है |

सेवा/शाखा – भारतीय सेना , भाभा चंद्रप्रकाश सिंह सलाहकार

सेवा वर्ष – 16 दिसम्बर 1978 – 8 दिसम्बर 2021

सैन्य सेवाएं

  • जनवरी 1979 में सेना में मिजोरम में प्रथम नियुक्ति पाई।
  • नेफा इलाके में तैनाती के दौरान उन्होंने बटालियन की अगुवाई की।
  • कांगो में संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की।
  • 01 सितंबर 2016 को सेना के उप-प्रमुख का पद संभाला।
  • 31 दिसंबर 2016 को सेना प्रमुख का पद।

उपाधि – जनरल

नेतृत्व –  उप सेना प्रमुख , दक्षिणी कमान भारत IIIकोर, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन,कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य,19 इन्फैंट्री डिवीजन,5 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स, इन्फैंट्री बटालियन, पूर्वी सेक्टर का नेतृत्व किये |

सम्मान –  परम विशिष्ट सेवा पदक,उत्तम युद्ध सेवा पदक,अति विशिष्ट सेवा पदक,युद्ध सेवा पदक,सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदकन  ऐड-डि-कैम्‍प का सम्मान मिला  |

विमान दुर्घटना में असामयिक मृत्यु 

यह दुखद संयोग ही है कि देश की सेना को वीर प्रसूता उत्तराखण्ड का पहली थल सेनाध्यक्ष बना तो वह कार्यकाल पूरा किए बिना ही सेवा के दौरान ही स्वर्ग सिधार गया। अब इसी उत्तराखण्ड ने देश को पहला चीफ ऑफ डिफेंस सटाफ दिया तो उनका भी कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सेवाकाल में बुधवार को हैलीकाप्टर दुर्घटना में निधन हो गया।

विश्व की सबसे ताकतवर थल सेनाओं में से एक भारतीय थल सेना को एक प्रमुख देने का दूसरा गौरव उत्तराखण्ड को मिला था। इस सैन्य बाहुल्य प्रदेश के लोगों की खुशियों का तब पारोवार न रहा जब उत्तराखण्ड के सपूत जनरल विपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने का सौभाग्य मिला।

जनरल रावत के हाथों में देश की सुरक्षा की कमान आने से यह वीर भूमि गौरवान्वित हुई। लेकिन दुर्भाग्य से इतिहास दुहरा गया और कार्यकाल पूरा करने से बहुत पहले ही जनरल रावत का 8 दिसम्बर 2021 को तमिलनाडू के कुन्नूर के निकट हैलीकाप्टर दुर्घटना में निधन हो गया। चूंकि सीडीएस का कार्यकाल 5 वर्ष या 65 साल की उम्र तक का होता होता है, इसीलिए उनको अभी इस पद पर जनवरी 2025 तक देश की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभानी थी।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here