क़ृषि क्षेत्र में भी है कामयाबी के रास्ते – पल्लवी

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नौवां दीक्षांत समारोह में सिल्वर मैडल पाने वाली पल्लवी तिवारी कहती हैं,आज काम करने की दुनिया बदल गयी है। कभी एग्रीकल्चर के मूल्य को कम आंका जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कृषि क्षेत्र में भी कामयाबी के रास्ते हैं।

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आज एग्रीेकल्चर आदमी की हर गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। देश की जीडीपी में तीस फीसदी एग्रीकल्चर की हिस्सेदारी है। कृषि देश का और आम आदमी के जीवन का आधार है। मेरी राय है,सरकार को चाहिए कि कृषि विषय कम्पलसरी कर दे हर विषय के साथ पढ़ना। ताकि आने वाली पीढ़ी कृषि क्षेत्र के मूल्यों को करीब से पहचाने।

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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से पल्लवी तिवारी ने एमएससी एग्रोनामी से किया है। और ए.के.एस.यूनिवर्सिटी सतना से बीएससी में भी टाॅप किया था। पल्लवी रीवा केन्द्रीय विद्यालय से गणित विषय से बारहवी की परीक्षा पच्चासी फीसदी नम्बरों से पास किया । पल्लवी शुरू से मेघावी छात्रा रही हैँ । दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल विश्वभूषण ने किया। दीक्षांत समारोह में 62 बच्चों को गोल्ड, 140 बच्चों को सिल्वर मैडल मिला और 23 को ब्रांज मैंडल मिला।

दींक्षांत समारोह में साल 2015-16 से लेकर 2021-22 तक के करीब छह हजार स्टुडेंटस को डिग्री दी गयी।

पल्लवी तिवारी ने बताया कि एमएसएसी के बाद पीएचडी करने का विचार था। कृषि वैज्ञानिक बनना चाहती थी। लेकिन अब अपना ट्रेंड बदल दिया है। इसलिए दिल्ली में डेटा सांइटिस की कोचिंग कर रही हूँ। डेटा साइंटिस का फिल्ड अच्छा नहीं लगा तो वापस एग्रीकल्चर के फिल्ड में लौट आऊंगी। क्यों कि एग्रीकल्चर की पढ़ाई भी हमें कामायाबी दिला सकती है। पल्लवी तिवारी की माँ चन्द्रवती शुक्ला शिक्षिका हैं और पिता रमेश तिवारी ‘रिपु’ लेखक हैं।

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