नयी दिल्ली,(वार्ता) बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिरी दिन गुरुवार को कांग्रेस तथा विपक्ष के कई दलों ने यहां संसद भवन परिसर से तिरंगा मार्च निकाला और कहा कि यह उनकी लोकतंत्र को बचाने और बोलने का अधिकार बरकरार रखने की लड़ाई है।
तिरंगा मार्च लोकसभा के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद यहां संसद भवन परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने से निकाला गया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी तथा विपक्षी दलों के सांसदों ने भाग लिया। मार्च में हिस्सा लेने वाले सभी सदस्य हाथों में तिरंगा लेकर यात्रा में शामिल हुए।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि यह तय किया गया है कि संसद से विजय चौक तक तिरंगा मार्च निकाला जाएगा, जहां विपक्षी सांसद प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और बजट सत्र के दौरान जो कुछ हुआ उसे लोगों के सामने रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने भविष्य में भी समन्वय और सहयोग करने का फैसला किया है।
कांग्रेस महासचिव संगठन के सी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि बजट सत्र का पूरा दूसरा भाग केवल सरकार के रवैये के कारण धुल गया। पहली बार सत्ता पक्ष ने कार्यवाही ठप कर दी और बाद में उन्होंने अदाणी मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर दिया और यह भी नहीं सुना कि विपक्ष क्यों मांग कर रहा है…
कई विपक्षी दलों के नेताओं ने बुधवार को संसद में राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे के कक्ष में बैठक कर बैठक की थी। बैठक में कांग्रेस, डीएमके, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), टीएमसी, आप, जेडीयू, सीपीआई, सीपीएम, आरजेडी, जेएमएम, आएसपी और आईयूएमएल के नेताओं ने भाग लिया था। बाद में कांग्रेस सांसदों ने कांग्रेस संसदीय दल के कार्यालय में बैठक की और अपनी रणनीति पर चर्चा की थी।