भारत में कोरोना का मिला नया रूप, वैज्ञानिक तौर पर B.1.617

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कहर से हाहाकार मचा है. कोरोना वायरस के इस अटैक के पीछे डबल म्यूटेंट वैरिएंट को कारण माना जा रहा है. कोरोना डबल म्यूटेंट वैरिएंट B.1.167 को पहली बार पिछले साल अक्टूबर में ही डिटेक्ट कर लिया गया था. 'हिंदुस्तान टाइम्स' की एक खबर के मुताबिक, बीते दिनों महाराष्ट्र के 60 फीसदी कोरोना सैंपलिंग में डबल म्यूटेंट पाया गया था. अब पश्चिम बंगाल में ये डबल म्यूटेंट नया वैरिएंट तेजी से बढ़ रहा है. इस वैरिएंट का एक और म्यूटेशन हुआ है जो अब ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट हो गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से लिए गए सैंपल में नया म्यूटेशन होते देखा गया है. ये वो राज्य हैं जहां कोरोना की दूसरी लहर में मामले तेजी से बढ़े हैं. इन राज्यों से लिए 17 सैंपल में ऐसा दिखा है. माना जा रहा है कि डबल म्यूटेशन वैरिएंट के कारण ही मामलों में इतनी तेज रफ्तार से बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट का पता चलने के बाद चिंता और बढ़ गई है.

इस वैरिएंट को वैज्ञानिक तौर पर B.1.617 नाम दिया गया है, जिसमें दो तरह के म्यूटेशंस हैं- E484Q और L452R म्यूटेशन. ये वायरस का वो रूप है, जिसके जीनोम में दो बार बदलाव हो चुका है. वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं, ताकि उन्हें खत्म ना किया जा सके. दो तरह के वायरस म्यूटेशन के कारण ही यह बेहद खतरनाक माना जा रहा है.

'इंडिया टुडे' की एक अलग रिपोर्ट में कहा गया है कि यह E484K सहित आनुवंशिक वैरिएंट के एक अलग सेट की विशेषता है. इसे एक प्रमुख प्रतिरक्षा संस्करण कहा जा रहा है. यानी ये प्रतिरक्षा से बचा सकता है. भले ही किसी व्यक्ति को पहले कोरोना वायरस हो चुका हो, फिर भी ये नया वैरिएंट इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन नहीं करने देगा.

एक्सपर्ट का कहना है कि B.1.618 नया वैरिएंट बंगाल में 130 से 129 सैंपल में पाया गया है, जहां विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. रैलियों-जनसभाओं में भारी भीड़ देखी जा रही है. भारत के साथ ही ये डबल म्यूटेंट नया वैरिएंट अमेरिका, स्विट्जरलैंड, सिंगापुर और फिनलैंड में भी पाया गया है. outbreak.info के एनालिसिस के मुताबिक, मौजूदा समय में भारत में 62.5 फीसदी केस B.1.618 वैरिएंट के हैं.

देश के वैज्ञानिकों ने मौजूदा लहर के बारे में जीनोम सीक्ववेंसिंग की रिपोर्ट तैयार की है. इसमें कहा गया है कि दो अप्रैल के पहले के 60 दिनों में की गई जीनोम सीक्ववेंसिंग में डबल म्यूटेंट सबसे ज्यादा पाया गया.

कई बार म्यूटेशन के बाद वायरस पहले से कमजोर हो जाता है लेकिन कई बार म्यूटेशन की यह प्रक्रिया वायरस को काफी खतरनाक बना देती है. ऐसे में वायरस हमारे शरीर की किसी कोशिका पर हमला करते हैं तो कोशिका कुछ ही घंटों के अंदर वायरस की हजारों कॉपीज बना देती है. इससे शरीर में वायरस लोड तेजी से बढ़ता है और मरीज जल्दी ही बीमारी की गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है.

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