रायपुर,
प्रदेश के मूर्धन्य साहित्यकार श्री चेतन भारती के 77 वे जन्मदिन पर आज 30 मार्च को सामाजिक व साहित्यिक संस्था वक्ता मंच द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन किया गया। कलेक्ट्रेट परिसर स्थित पेंशनर समाज के कार्यालय में संपन्न इस कार्यक्रम में उनके द्वारा लिखित पुस्तक ” सुरता के राग “का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजभाषा आयोग के सचिव डाॅ अनिल भतपहरी थे। अध्यक्षता हास्य कवि मूलचंद शर्मा ने की। शिक्षाविद् व कवि कुमुद् लाड एवं डाॅ गौरी अग्रवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थी। इस अवसर पर बडी संख्या में राजधानी के साहित्यकार, काव्य प्रेमी एवं पेंशनर्स उपस्थित थे। मुख्य अतिथि डाॅ अनिल भतपहरी ने कहा कि साहित्यकार का सम्मान उनके सकारात्मक दृष्टिकोण व समाज सापेक्ष लेखन हेतु किया जाता है। समाज की वेदना को संवेदना के साथ कागज में उतारनेवाला व्यक्ति ही साहित्यकार कहलाता है।
उन्होंने आव्हान किया कि साहित्यकार ऐसे साहित्य का निर्माण करे जिसे पढ़कर देश सही दिशा में आगे बढे। इस अवसर पर वक्ताओ ने चेतन भारती के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हे इमानदार, कर्मठ, सहज व सरल हृदय का व्यक्ति निरूपित करते हुए कहा कि उनके लेखन में आम आदमी का संघर्ष व जन जीवन की पीड़ा झंकृत होती है। अभिनंदन समारोह के माध्यम से उनके स्वस्थ, सुदीर्घ व यशस्वी जीवन की कामना की गई। उपस्थित प्रबुद्धजनो ने पुष्प माला, शाल, सम्मान पत्र, मोमेंटो एवं गुलदस्ते भेंटकर उनका अभिनंदन किया। इस अवसर पर चेतन भारती ने कहा कि उन्हें अपने जीवन में सफलता के इस मुकाम तक पहुँचने में काफी संघर्ष करना पड़ा है। वरिष्ठ साहित्यका रो के मार्गदर्शन व परिजनों के सहयोग से ही वे नौकरी करते हुए साहित्य सृजन कर पाये है। वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते ने जानकारी दी है कि आज इस अवसर पर काव्य गोष्ठी भी संपन्न हुई जिसमे 40 से अधिक कवियों ने अपनी रचनाओ का पाठ किया।
काव्य पाठ की प्रमुख प्रस्तुतियां इस प्रकार रही:-
मूलचंद शर्मा:-
गम खाकर मुस्कुराना कोई हमसे सीख जाये
ठोकर खाकर गुनगुनाना कोई हमसे सीख जाये
मिलेगा क्या किसी को किसी से बैर रखकर
सबको गले लगाना कोई हमसे सीख जाये।
शिवानी मैत्रा:-
तमन्ना को तकदीर का साथ मिल जाये
यह दौर रिश्तों मे मिठास ले आये।
देव मानिकपुरी:-
आजादी के अमृत महोत्सव देश हमर मनावथे
घोटाला के गीत सुग्घर चारों खूंट सुनावथे।
संजीव ठाकुर:-
पराई दीवारों में झाकना तो आँसा है बहुत
कभी अपनी गिरेबाँ में झाँककर देखो।
पूर्नेश डडसेना:-
जिंदगी थम सी गई है रास्ते रुक से गये है
हम उन्हे मना न पाये वो हमसे रूठ से गये है।
आलिम नकवी:-
हौसला सबमे है लेकिन आजमाता कौन है
आईना बातिल परस्तो को दिखाता कौन है
झूठ का पाबंद तो सारा जमाना हो गया
सच की खातिर अपनी गर्दन को कटाता कौन है।
कुलदीप सिंह:-
हिंदी नब्ज है मेरी ये उर्दू ने खोजा है
सियासत ने दोनों बहनो को अलग करने की सोचा है।
सुनील पांडे:-
यूक्रेन को जान के लाले है
महाशक्ति रूस ने युद्ध पाले है
अमेरिका ने हाथ सेंक डाले है
और बाकी के मुँह पर ताले है।
आज के कार्यक्रम का संचालन राजेश पराते एवं संयोजन शुभम साहू द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डाॅ अनिल भतपहरी, चेतन भारती, कुमुद लाड, डाॅ गौरी अग्रवाल, मूलचंद शर्मा, राजेश पराते, शुभम साहू, कुमार जगदलवी, दुष्यंत साहू, अजीत शर्मा, शिवप्रसाद सोनी, श्याम बिहारी अग्रवाल, पी आर सिन्हा, उदयराम साहू, शिवानी मैत्रा, सुनील पांडे, देव मानिकपुरी, खेमराज साहू, डाॅ इंद्रदेव यदु, सविता राय, कुमुद लाड, संजीव ठाकुर, हरिशंकर सोनी, उमा स्वामी, मो हुसैन, लिलेश्वर देवांगन, विकास कश्यप, कौशल्या तिवारी, डाॅ गौरी अग्रवाल, वंशिका ठाकुर, डाॅ दीनदयाल साहू, पुष्पराज, घासीराम रात्रे, कुलदीप सिंह, राजकुमार निषाद, मयारू मोहन निषाद, आलिम नकवी, ऋषभ बंजारे, यशवंत यदु “यश”, पूर्नेश डडसेना सहित अनेक प्रबुद्धजनो ने शिरकत की।