साहित्य,
26 फरवरी 2022 की वह सुनहली प्रभात तब धन्य हो गई, जब पर्वत की मनोरम घाटी के मध्य स्थित चिन्मय आश्रम रामबोडा में राष्ट्रीय कवि संगम के कार्यकर्ताओं ने प्रभु श्रीराम के रजत चरण अपने शीश पर धारण किए और मार्ग में पड़ रहे श्रीगणेश मंदिर में पाद पूजा की। वहाँ से चल पड़ा यह यात्रीदल नवेरा एलिया में स्थित प्रसिद्ध अशोक वाटिका मंदिर में जहाँ जगज्जननी माँ सीता ने एक वर्ष प्रभु राम के वियोग में बिताए थे। इस प्राचीन मंदिर को आजकल सीता एलिया के नाम से पुकारा जाता है। यह ऐतिहासिक मंदिर श्री रामचंद्र जी और सीता जी के भावपूर्ण चित्रों से सजा है ।
राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश मित्तल तथा बाबा सत्यनारायण मौर्य के नेतृत्व में यात्रा दल के सभी सदस्यों ने अत्यंत श्रद्धा पूर्वक श्री रामचंद्र जी के चरणों की पूजा की । वहां हवन यज्ञ किया। हनुमान चालीसा का पाठ किया तथा अन्य रंभक्तिपूर्ण अन्य भजन अर्पित किए । मंदिर में भक्तों ने उमड़ उमड़ कर श्री रामचंद्र जी के चरणों में मस्तक झुका कर अपनी श्रद्धा प्रकट की ।
यह मंदिर अत्यंत पवित्र जल स्रोत के किनारे बसा है ।आज भी माता सीता के निवास स्थान के साथ साथ हनुमान जी के विशाल चरण चिह्न वहां स्थापित हैं। पूजा के पश्चात श्रीलंका के संसद सदस्य तथा पूर्व शिक्षा मंत्री राधा कृष्ण ने इस यात्रा दल के सभी सदस्यों का आनंद पूर्वक अभिनंदन किया । उन्होंने कहा कि अयोध्या के मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने भी श्रीलंका से गिलहरी की तरह एक ईंट भेजी थी । हम चाहते हैं कि इसी स्थान पर माता सीता के मंदिर को भी नया रूप दिया जाए और इसे नया रूप देने में भारत की ओर से भी राम भक्तों का प्रयास सम्मिलित हो । मंदिर पूजा के पश्चात हमारे कार्यकर्ताओं ने साथ में बहते जल स्रोत के आसपास कुछ समय आनंद विनोद में गुजारा । शाम को 4:00 बजे मुत्तु मारी अम्मन मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया । यहाँ प्रो सच्चिदानंद ने भावपूर्वक यात्रादल का स्वागत करते हुए कहा कि श्रीलंका की इस पुण्यभूमि पर आपका स्वागत है। आपके आने से हमारा मनोबल बढ़ा है। आजतक हमने मां सीता की पुण्य स्मृतियों को सुरक्षित रखा है और आगे भी रखेंगे। आप आते रहें।
यह कार्यक्रम त्रिभाषी होने के कारण से अद्भुत था। श्रोता मंडली तमिल भाषी थी जो हिंदी और अंग्रेजी नहीं जानती थी। कुछ कविताएं तमिल भाषा में पढ़ी गई तो कुछ भाषाएं हिंदी में ।संचालक गण भी दो-दो भाषाएं जानते थे । परंतु अनुवाद की कला के द्वारा हमारे दो कार्यकर्ताओं अभिषेक त्रिपाठी तथा सुधींद्र आंधीवाल द्वारा तमिल और हिंदी में संचालन कार्य और अनुवाद कार्य करके अद्भुत रोमांच पैदा करते हुए सभी श्रोताओं तक सब की बात पहुंचाने का कठिन कार्य आनंदपूर्वक संपन्न किया। विद्यालयों के कुछ बच्चों ने श्रीराम की भक्ति में अत्यंत सम्मोहक नृत्य प्रस्तुत किए l श्रीलंका यात्रा दल को सौभाग्य से शुभ अवसर मिला बोधिगया के उस प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर के दर्शन करने का जिसकी महिमा के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के अनेक नामचीन संत- महात्मा और नेता यहाँ की यात्रा करते हैं । इस मंदिर में स्थापित भगवान बुद्ध की अत्यंत भव्य प्रतिमा के समक्ष श्रद्धापूर्वक पूजन करते बौद्ध सन्यासी की सुस्पष्ट और विनम्र हिंदी सुनकर हमें बहुत सुखद अनुभूति हुई । जब उन्होंने बताया कि वे बचपन से ही बौद्ध धर्म के सन्यासी बने और फिर उन्होंने अपनी शिक्षा भारत से प्राप्त की । कवि नागार्जुन और अन्य कवि उनके गुरु रहे। राष्ट्रीय कवि संगम परिवार के सभी सदस्य उनके आतिथ्य को पाकर बहुत गदगद हुए। जगदीश मित्तल तथा बाबा सत्यनारायण मौर्य ने स्मृति चिह्न और दुपट्टा देकर उन्हें सम्मानित किया। यात्रा श्रीलंका से निकल रामेश्वरम के लिए रवाना हुई।