Bhai Dooj 2021 : जाने भाई दूज की पूजा विधि ,सामग्री की लिस्ट, मंत्र और शुभ मुहूर्त और भाई दूज का महत्व

अध्यात्म,

दिवाली महापर्व के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है और गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज का पावन पर्व मनाया जाता है। भाई दूज भाई- बहन का त्योहार है। भाई दूज पर बहन भाई का तिलक करती है। भाई- बहन एक- दूसरे से सुख- दुख में साथ निभाने का वचन भी देते हैं। भाई दूज को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के पावन दिन ही यमुना नदी ने अपने भाई यमराज को घर बुलाया था और तिलक किया था।

इस पावन दिन कैसे करें पूजा- अर्चना और पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट-

पूजा विधि-

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।bhai dooj 2018110815283607
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें।
  • भगवान विष्णू और गणेश जी की पूजा करें
  • इस दिन भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर भोजन कराने की परंपरा है।
  • भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाएं।
  • भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं।
  • भाई को तिलक लगाएं।
  • तिलक लगाने के बाद भाई की आरती उतारें।
  • भाई के हाथ में कलावा बांधें।
  • भाई को मिठाई खिलाएं।
  • मिठाई खिलाने के बाद भाई को भोजन कराएं।
  • भाई को बहन को कुछ न कुछ उपहार में जरूर देना चाहिए।

पूजा सामग्री

  • आरती की थाली
  • टीका, चावल
  • नारियल, गोला (सूखा नारियल) और मिठाई
  • दिया और धूप
  • रुमाल या छोटा तोलिया

बहने इस मंत्र का जप जरूर करें-

  • गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े।

भाई दूज 2021 शुभ मुहूर्त-

भाई दूज का त्योहार इस साल 6 नवंबर 2021, दिन शनिवार को है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 21 मिनट तक है। शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 11 मिनट की है।

दिवाली भाई दूज की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सुर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान धर्मराज यम और यमुना थे. लेकिन भगवान सूर्य के तेज को संध्या देवी सहन न कर पाई और यमराज और यमुना को छोड़ कर मायके चली गईं. लेकिन वे अपनी जगह प्रतिकृति छाया को भगवान सूर्य के पास छोड़ गईं. यमराज और यमुना छाया की संतान न होने के कारण मां के प्यार से वंचित रहे,  लेकिन दोनों भाई-बहन में आपस में खूब प्रेम था. युमना की शादी के बाद धर्मराज यम बहन के बुलाने पर यम द्वितीया के दिन उनके घर पहुंचे. भाई की आने की खुशी में यमुना जी ने भाई का खूब सत्कार किया. यमराज को तिलक लगा कर पूजन किया. तब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।

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