जनसंपर्क विभाग पदस्थापना विवाद या तो सरकार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर विश्वास नहीं…या विभाग के लिए अक्षम मान रहीं..

 रायपुर

छत्तीसगढ़ राज्य में जनसंपर्क विभाग में नियम विपरित पदस्थापना विवाद में छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध ने कड़ा विरोध करते हुए राज्य निर्माण के बाद पहली बार विभागों में स्वेच्छाचारिता से पदस्थापना करने की परंपरा अपनों को उपकृत करने व ‘‘अंधा बांटे रेवणी-चिन्ह चिन्ह के दे‘‘ कहावत् चरितार्थ करने का आरोप लगाया गया है। संध ने प्रदेश में व्यापक कानून व्यवस्था, गांजा, चरस, अफीम की तस्करी, नक्सल समस्या जैसे गंभीर स्थिति से निपटने पुलिस का उपयोग करने की बजाय जनसंपर्क विभाग में वरिष्ठ, ईमानदार पुलिस अधिकारी व राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना कर सरकार यह सिद्व करना चाह रही है कि या तो ऐसे योग्य अधिकारी का पुलिस विभाग में कोई काम नहीं है, पुलिस विभाग को उन पर विश्वास नहीं है अथवा वे अब वृद्वावस्था में पुलिस का कार्य करने में सक्षम नहीं है। इन्ही दो कारणों से प्रदेश के वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी जनसंपर्क सचिव बनाया गया है। इससे नाराज जनसंपर्क विभाग के अधिकारी व अखिल भारतीय सेवा के नाराज अधिकारियों के मांग व हड़ताल का प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध ने समर्थन किया है।
संध के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार झा एवं जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खाॅन ने बताया है कि जन संपर्क विभाग में सचिव के पद पर वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी की पदस्थापना कर उनकी योग्यता व कार्यक्षमता पर सरकार व पुलिस विभाग प्रश्न चिन्ह पैदा कर रही है। राज्य निर्माण के बाद दिपांशु काबरा आई.पी.एस.अनेक जटिल समस्याओं व कानून व्यवस्था के सफल संपादन में अनेक पदों पर पदस्थ रहे है। अब उन्हें जनसंपर्क सचिव बनाना उनके साथ व विभागीय अधिकारियों के साथ अन्याय की श्रेणी में आता है। इसी प्रकार संचालक जनसंपर्क के पद पर वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी, कलेक्टर स्तर व उससे वरिष्ठ अधिकारियों की पदस्थापना की जाती रही है। किंतु वर्तमान् में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सौमिल रंजन चौबे को संचालक जनसंपर्क के पद पर पदस्थ किया गया है।

जनसंपर्क विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों के उपलब्ध होने के बाद भी अन्य विभागों के अधिकारियों की पदस्थापना अनेक संदेहों को जन्म देती है। राज्य सरकार अधिकारियों कर्मचारियों की ‘‘लीन‘‘ को बदलकर अधिकारी आयातित कर रही है। ऐसे ही वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जंगली हाथी मरने, हाथी द्वारा मानव हत्या करने की गांव-गांव में उत्पन्न समस्या का निदान करने के कार्य में उपयोग करने के बदले उनके मूल विभाग को छोड़कर ऐशो आराम के पदों पर अन्य विभाग में पदस्थ किया जा रहा है। वर्तमान् में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में वरिष्ठ आई.एफ.एस. आलोक कटियार को सी.ई.ओ. के पद पर पदस्थ किया गया है।

जबकि सी.ई.ओं.का पद आई.ए.एस. अधिकारी स्तर का पद है। इसी प्रकार वन विभाग के अधिकारी श्री विवेक आचार्य आई.एफ.एस.को पर्यटन एवं संस्कृति विभाग में पदस्थ किया गया है। एक विभाग के अधिकारी को दूसरे विभाग में पदस्थ करने से विभागीय क्रियाकलापों से अनभिज्ञ होने के कारण कार्यो पर विपरित प्रभाव पड़ता है। साथ ही विभागीय अधिकारियों की उपेक्षा होने से विभाग के अन्य अधिकारी कर्मचारी उन्हें पाकिस्तानी समझकर असहयोग आंदोलन करते है, इससे विभाग में तनावपूर्ण वातावरण निर्मित होता है। कुल मिलाकर एक गहरी साजिश के तहत सरकार को बदनाम करने अधिकारियों की पदस्थापना में व्याप्त स्वेच्छाचारिता का आलम बनाया गया है। छग.कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा, संध के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष अजय तिवारी, महामंत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रांतीय संयोजक विमल चंद्र कुण्डू, सुरेन्द्र त्रिपाठी, प्रांतीय सचिव रामचंद्र ताण्डी, दिनेश मिश्रा, सी.एल.दुबे, श्रीमती अरूंधति परिहार, अखिलेश देवाॅगन, पिताम्बर ठाकुर, अमरेन्द्र झा, ने इन विभागों में अदला-बदली पदस्थापना को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। अन्यथा तृतीय वर्गग् कर्मचारी संध को भी जनसंपर्क अधिकारियों कर्मचारियों के आंदोलन में सहभागी होना पड़ेगा।

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