सूरजपुर.
छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में डायोसिस कौंसिल की बैठक में स्थानीय स्तर पर जीइएल चर्च की मजबूती और आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया। बैठक में कौंसिल द्वारा किए जा रहे कार्यो की समीक्षा की गई। आत्मनिर्भर होकर डायोसिस संचालन करने पर विचार किया गया। डायोसिस के प्रमुख पदाधिकारी सहित नौ पारिस, दो मिशन और फील्ड के पदाधिकारी, प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए।
जीइल चर्च केदारपुर में आहूत बैठक के प्रमुख एजेंडा में वित्तीय व्यवस्था, रचनात्मक कार्य, योजना समिति के कार्यो की समीक्षा एवं डायोसिस संचालन रहा। इन एजेंडा के संबधित पदाधिकारीयों ने प्रतिवेदन बैठक में उपस्थित सदस्यों के समक्ष प्रस्तुत किया। जीइएल छत्तीसगढ़ के सचिव चाजरस टोप्पो ने कहा आज पयर्त तक जीइएल चर्च छोटा नागपुर एवं असम से संबद्ध है। इसी कारण मुख्यालय रांची झारखंड में है। छत्तीसगढ़ अंचल के कलीसियाई कार्यो के विकास के लिए रांची मुख्यालय पर निर्भर रहना पड़ता है। अब तक मूल्यांकन में यही बात निकल कर सामने आई है कि दूसरे राज्य में मुख्यालय और संबद्धता के कारण छत्तीसगढ़ में कलीसियाई विकास में बाधक बना हुआ है। छत्तीसगढ़ में जीइएल उपेक्षित रहा तथा विकास से दूर है। अब समय आ गया है कि आत्मनिर्भर बनकर छत्तीसगढ़ में कलीसियाई विकास खुद से करना है। साथ ही विकास में बाधक बने झारखंड से आए पदाधिकारियों को झारखंड वापस भेजने मुहिम तेज किया जाएगा।छत्तीसगढ़ अंचल के निवासी जो कलीसियाई कार्यो के लिए छत्तीसगढ़ से बाहर अन्यत्र पदस्थ हैं, उनकी पदस्थापना छत्तीसगढ़ हेतु कराने प्रयास किया जाएगा। सचिव टोप्पो ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ के लिए पदस्थापना को लेकर दिक्कत हुई तो अन्यत्र पदस्थ छत्तीसगढ़ अंचल के पदाधिकारियों से चर्चा जारी है, वे त्याग पत्र देकर घर वापसी कर सकते हैं। बैठक की अध्यक्षता प्रभात खलखो द्वारा की गई। उन्होंने भी समाज और संगठन विकास के लिए अपनी बात रखी। बैठक का संचालन जीइएल चर्च छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष विजय प्रकाश निकुंज ने किया। बैठक के सफल आयोजन में प्रेमानंद तिग्गा, स्वरूप कान्त थामस, तिबिरियस कुजूर, अरूण टोप्पो, प्रकाश किस्पोटटा, सरजू बेक, जेम्स लकड़ा, जयवंत टोप्पो, मनसुख केरकेट्टा, सुनील एक्का, सलोनी तिग्गा, फीना तिरकी, बबिता तिग्गा, विनोद मिंज, गंगा प्रसाद अगरिया का योगदान रहा।