छु लूँ चाँद तारों को ऐसी अभिलाषा है…रश्मि शर्मा “इंदु”

छु लूँ चाँद तारों को ऐसी अभिलाषा है,
यही बस यही इक छोटी सी मेरी आशा है।

रहते हो तुम सदा मेरी यादों में ख्वाबो में,
मौन संवादों में छिपी ये तेरे मेरे प्रेम की भाषा है।

नदी हूँ मैं इक छोटी तुम समंदर से विशाल हो,
एक बार तुझी में समा जाऊँ यही अभिलाषा है।

हर बार जीवन में बस उनका ही संग मिले,
ढाई आखर लिख दिए यही प्रेम की परिभाषा है।

तुम रहते हो निगाहों में दुआओं में हर पल,
मेरी उनींदी सी पलकों में भरी निराशा है।

वो मिल जाये मुझे एक बार इस जहाँ में,
ये ही मेरे दिल की बस अब तो अभिलाषा है।

रश्मि शर्मा “इंदु”
जयपुर