टेंशन में इमरान- तहरीक-ए-तालिबान के सैकड़ों कमांडरों को तालिबान ने किया रिहा, फकीर मोहम्मद भी निकला बाहर

 
काबुल/इस्लामाबाद

पाकिस्तान लगातार तालिबान का समर्थन कर रहा है और कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो साफ कह दिया कि तालिबान ने गुलामी की बेड़ियों को उखाड़ फेंका है, उसके बाद भी तालिबान ने इमरान खान को बहुत बड़ा टेंशन दे दिया है, जिसकी गूंज इस्लामाबाद में सुनी जा रही है। पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया है कि पाकिस्तान की अमन-चैन के सबसे बड़े दुश्मन फकीर मोहम्मद को तालिबान ने जेल से रिहा कर दिया है। फकीर मोहम्मद वो शख्स है, जिसका नाम सुनते ही पाकिस्तान को पसीना आ जाता है और जो पाकिस्तान में कई बम ब्लास्ट का प्रमुख आरोपी है।
 
 रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने राजधानी काबुल पर कब्जा करते ही तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के कई नेताओं को आजाद कर दिया है, जिसमें फकीर मोहम्मद भी है, जो पाकिस्तान में आजादी के लिए लड़ता है और जिसे पाकिस्तान आतंकी मानता है। आपको बता दें कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादी संगठन करार दिया हुआ है और इस संगठन पर पाकिस्तान में दर्जनों भीषण बम ब्लास्ट करने के आरोप है। समा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के कई प्रमुख नेताओं और प्रमुख अफगान तालिबान कमांडरों को अफगानिस्तान की जेलों से रिहा कर दिया गया है, जो पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
 
फकीर मोहम्मद से क्यों डरा पाकिस्तान ?
समा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक फकीर मोहम्मद का अफगानिस्तान जेल से बाहर आना पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द है। तालिबान ने जितने भी उग्रवादियों को रिहा किया है, उनमें सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले नामों में से एक टीटीपी के पूर्व उप प्रमुख मौलाना फकीर मोहम्मद है। सोशल मीडिया पर उसकी रिहाई के अलग अलग वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं। टीटीपी के प्रवक्ता ने एक बयान में उसकी रिहाई की पुष्टि की है। फकीर ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उसके अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी से घनिष्ठ संबंध हैं। इससे पहले अप्रैल में अफगान सरकार ने घोषणा की थी कि वो मौलवी फकीर को रिहा कर रही है। हालांकि, फकीर मोहम्मद को रिहा नहीं किया गया था।
 
समा टीवी ने दावा किया है कि तालिबान द्वारा रिहा किए गए अन्य प्रमुख कमांडरों में बैतुल्लाह महसूद के ड्राइवर कमांडर जाली, वकास महसूद, हमजा महसूद, जरकावी महसूद, जैतुल्ला महसूद, कारी हमीदुल्ला महसूद, डॉ हमीद महसूद और मजहर महसूद शामिल हैं। ये सभी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से संबंध रखते हैं। इससे पहले पत्रकार अनीस-उर-रहमान ने एक ट्वीट में दावा किया था, कि अफगान तालिबान ने अब तक वजीरिस्तान, सरगोधा, स्वात और बाजौर से लगभग 2,300 प्रमुख टीटीपी कमांडरों और नेताओं को रिहा किया है।
 
हरकत-ए-तालिबान के पूर्व उप प्रमुख मौलाना फकीर मोहम्मद को उसके साथियों के साथ 2013 में अफगान प्रांत कुनार में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में 2018 में बगराम जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था। फकीर मोहम्मद और 200 अन्य पाकिस्तानी और अफगान तालिबान कैदियों को अमेरिका के कब्जे वाली पूर्व जेल में एक ही बैरक में रखा गया था। मौलवी फकीर मोहम्मद को बाजौर एजेंसी में प्रतिबंधित संगठनों के सबसे बड़े कमांडर के रूप में जाना जाता था, जब अल-कायदा और अन्य विदेशी लड़ाकों की कबायली इलाकों में मजबूत उपस्थिति थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-कायदा के मौजूदा मुखिया डॉ. अयमान अल-जवाहिरी उसके घर मेहमान बनकर आता था। यही कारण है कि फकीर मोहम्मद पर अरब लड़ाकों के साथ घनिष्ठ संबंध रखने का आरोप लगाया गया है।
 
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है और ये पाकिस्तान के लिए हमेशा से सिर दर्द रहा है। पाकिस्तान की सरकारों ने अफगान तालिबान को 'गुड तालिबान' और पाकिस्तान तालिबान को 'बेड तालिबान' कहा है। जबकि, तमाम रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अफगान तालिबान और पाकिस्तान तालिबान दोनों एक ही हैं, सिर्फ दोनों के नाम अलग अलग हैं। 2300 पाकिस्तान तालिबान आतंकियों को रिहा करने के बाद इस बात पर मुहर भी लगती है। लेकिन, पाकिस्तान ने अपने स्वार्थ में अफगान तालिबान को बढ़ावा दिया, जिसकी वजह से पाकिस्तान तालिबान भी लगातार फलता-फूलता गया। ये आतंकी संगठन पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर काफी ज्यादा सक्रिय है और इस संगठन की विचारधारा अफगान तालिबान के जैसा ही है।
 
अफगान तालिबान की तरफ पाकिस्तान तालिबान या तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, पाकिस्तान में शरीयत कानून लागू करना चाहता है। जबकि, पाकिस्तान में सामान्य कानून है। इसी संगठन ने मलाला यूसुफजई पर जानलेवा हमला किया था और ये संगठन कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि ये बच्चों के ऊपर हमला करता है। स्कूलों को निशाना बनाता है। इसकी स्थापना दिसम्बर 2007 में की गई थी और उससे पहले इसका नाम अलग था। बेयतुल्लाह महसूद​ के नेतृत्व में 13 आतंकी संगठनों ने मिलकर एक साथ इस संगठन का निर्माण किया था, जिसका मकसद पाकिस्तान में शरीया कानून लागू करना और पाकिस्तान को शरीया आधारित अमीरात बनाना चाहते हैं।