बीजिंग/काबुल/इस्लामाबाद
तालिबान अब तक अफगानिस्तान के 10 से ज्यादा प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुका है और इस बीच चीन से बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है। रिपोर्ट आ रही है कि जैसे ही काबुल पर तालिबान कब्जा करेगा, ठीक वैसे ही चीन इस आतंकी संगठन को मान्यता दे देगा। माना जा रहा है कि पिछले महीने तालिबानी नेताओं ने जब बीजिंग का दौरा किया था, तभी इस बात का फैसला हो गया था और अब रिपोर्ट आ रही है कि आतंकवादी संगठन तालिबान जैसे ही बंदूक के बूते तालिबान पर कब्जा करेगा, ठीक वैसे ही चीन उसे मान्यता दे देगा। वहीं, पिछले हफ्ते पाकिस्तान के भी कई मंत्रियों ने परोक्ष तौर पर कहा था कि वो तालिबान को मान्यता दे देगा।
रिपोर्ट के मुताबिक चीन की मिलिट्री और इंटेलीजेंस ने अफगानिस्तान की स्थिति को बारिकी से परखा है और फिर चीन में तय किया गया है कि चीन की सरकार आतंकवादी संगठन तालिबान के साथ पार्टनरशिप करते हुए उसे मान्यता दे देगी। चीन सरकार तालिबान को मान्यता देने की तैयारी कर रही है, इसका खुलासा अमेरिकन इंटेलीजेंस एजेंसी ने किया है, जो अफगानिस्तान में चीन की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है। इससे पहले पिछले महीने तालिबान के प्रतिनिधियों ने बीजिंग का दौरा किया था, जिसमें चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ तालिबानी नेताओं के साथ बैठक हुई है। इस बैठक के दौरान कुछ बातें सार्वजनिक हुई थी और रिपोर्ट के मुताबिक तय किया गया था कि तालिबान को अफगानिस्तान के अंदर चीन के विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा। वहीं, तालिबान ने चीन को आश्वस्त किया था कि वो अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं होने देगा।
27 जुलाई को जब तालिबानी नेताओं ने बीजिंग का दौरा किया था, उस वक्त रिपोर्ट आई थी कि चीन ने तालिबान को बताया था कि वो कैसे आसानी से अफगानिस्तान की सरकार को सत्ता से हटाकर काबुल पर कब्जा कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के नेताओं ने चीन से अफगानिस्तान पर कब्जे के लिए समर्थन मांगा था। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने तालिबान से कहा कि अगर तालिबान सत्ता में आता है तो किसी भी हालत में अफगानिस्तान की जमीन को चीन के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा, इसका वायदा करे। जिसके जवाब में तालिबान ने चीन को वचन दिया है कि वो किसी भी ऐसे संगठन का समर्थन नहीं करेगा, जो चीन में आतंकवाद फैलाना चाहते हैं। तालिबानी नेता मुल्ला बरादर ने चीन को आश्वासन दिया है कि वो उइगर चरमपंथियों का साथ नहीं देगा और ना ही अफगानिस्तान में उन्हें शरण लेने देगा।