राज्यसभा से भी पारित हुआ ओबीसी आरक्षण बिल

    नई दिल्ली

राज्यसभा में बुधवार को संविधान (127वां) संशोधन विधेयक, 2021 पर चर्चा की गई. लंबी बहस के बाद इस बिल पर मत विभाजन कराया गया. कुछ सांसदों ने संशोधन भी पेश किए लेकिन संशोधन खारिज हो गए. इस तरह वोटिंग के जरिए राज्यसभा में ओबीसी आरक्षण से जुड़ा ये अहम बिल पारित हो गया. इसके पक्ष में 187 वोट पड़े. लोकसभा से ये बिल 10 अगस्त को पास हो गया था. अब बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.

बुधवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने इस बिल का सदन में प्रस्ताव किया और चर्चा की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि ये संविधान संशोधन राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार देने के लिए लाया गया है. उन्होंने कहा कि यदि राज्य की सूची को समाप्त कर दिया जाता तो लगभग 631 जातियों को शैक्षणिक संस्थान और नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलता.

मराठा आरक्षण पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से इस तरह किसी भी समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। अदालत के इस फैसले से महाराष्ट्र में मिला मराठा आरक्षण खारिज हो गया था और राज्य में आंदोलन शुरू हो गए थे। इसके बाद सरकार यह बिल लाई है। इससे महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की राह आसान होगी। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी प्रदेश सरकारों को अपने मुताबिक सूची तैयार करने का अधिकार मिलेगा। राज्यसभा में इस विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को भी खत्म करने की मांग की।

कांग्रेस ने कहा- बिल लाकर एक गलती सुधारी

बिल पर चर्चा ओपन होने के बाद सबसे पहले कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा. उन्होंने स्पष्ट कहा कि ये संशोधन लाकर सरकार अपनी पुरानी गलती को सुधार रही है. लेकिन दूसरी गलती पर इस बिल में कुछ नहीं कहा गया है. सिंघवी ने कहा कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा पर इस बिल में एक शब्द भी नहीं है,