नई दिल्ली
केंद्र सरकार 1 अक्टूबर से लेबर कोड के नए नियमों को लागू करने की तैयारी में है। अगर 1 अक्टूबर से यह नियम लागू हो जाता है तो फिर ऑफिस के कामकाज के तरीके में बदलाव आ जाएगा।
काम के घंटे बढ़ सकते हैं। लेकिन कोई भी कंपनी अपने कर्मचारियों से लगातार 5 घंटे से अधिक काम नहीं करा सकती है। कंपनियों के अपने कर्मचारियों को 5 घंटे के बाद ब्रेक देना ही होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लेबर कोड के नियमों के मुताबिक कर्मचारियों के काम के घंटे बदलकर 12 घंटे हो सकते हैं। जल्द ही सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को अपनी सैलरी, ग्रेच्युटी और भविष्य निधि में भी अहम बदलाव हो सकते हैं।
लेबर मिनिस्ट्री और मोदी सरकार लेबर कोड के नियमों को 1 अक्टूबर तक नोटिफाई करना चाहती है। संसद ने अगस्त 2019 को तीन लेबर कोड इंडस्ट्रियल रिलेशन, काम की सुरक्षा, हेल्थ और वर्किंग कंडीशन और सोशल सिक्योरिटी से जुड़े नियमों में बदलाव किया था। ये नियम सितंबर 2020 को पास हो गए थे।
नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के ज्यादा से ज्यादा घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव है। हालांकि लेबर यूनियन 12 घंटे नौकरी करने का विरोध कर रहा है।
कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल किया जाएगा। मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम में नहीं गिना जाता है। ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने की मनाही है। कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का ब्रेक देना जरूरी होगा।
इस नए ड्राफ्ट से मूल वेतन कुल वेतन का 50 फीसदी या अधिक होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन का स्ट्रक्चर में बदलाव आएगा। बेसिक सैलरी बढ़ने से PF और ग्रेच्युटी के लिए कटने वाला पैसा बढ़ जाएगा क्योंकि इसमें जानें वाला पैसा बेसिक सैलरी के अनुपात में होता है। अगर ऐसा होता है जो आपके घर आने वाली सैलरी घट जाएगी रिटायरमेंट पर मिलने वाला PF और ग्रेच्युटी का पैसा बढ़ जाएगा।
ग्रेच्युटी और PF में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में इजाफा होगा। पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी बढ़ोतरी होगी। इसकी वजह ये है कि कंपनियों को कर्मचारियों के लिए PF में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा। इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट पर असर पड़ेगा।