नई दिल्ली
देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना की फटकार के कुछ दिनों बाद सीबीआई ने जजों के खिलाफ अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने के आरोप में 5 लोगों को गिरफ्तार किया हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित रूप से आपत्तिजनक कमेंट के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसकी जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी। सीबीआई के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा सदस्य नंदीगाम सुरेश और अमांची कृष्ण मोहन दोनों भूमिका जांच के दायरे में हैं। एजेंसी ने एक बड़ी साजिश का पता लगाने के प्रयास में दोनों की जांच की है। सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी ने कहा कि बड़ी साजिश की जांच के लिए, सीबीआई ने एक सांसद, पूर्व विधायक सहित कुछ लोगों से भी पूछताछ की और अन्य व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच जारी रखी है, जिनका नाम एफआईआर में नहीं था। एजेंसी ने शनिवार को आंध्र प्रदेश से दो लोगों पट्टापू आदर्श और लवनुरु सांबा शिवा रेड्डी को गिरफ्तार किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले सीबीआई ने धामी रेड्डी कोंडा रेड्डी और पामुला सुधीर को 28 जुलाई को गिरफ्तार किया था, जबकि कुवैत में रहने वाले लिंगारेड्डी राजशेखर रेड्डी को 9 जुलाई को भारत आने पर गिरफ्तार किया गया था। एजेंसी उसकी गतिविधियों की निगरानी कर रही थी। जैसे ही वह भारत आए, अधिकारियों ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया। दरअसल, सीबीआई ने उस मामले में गिरफ्तारियां की थीं, जिसमें उसने न्यायाधीशों के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने के लिए 16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने एजेंसी को मामले की जांच करने और सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। जोशी ने कहा कि यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने जानबूझकर न्यायपालिका को निशाना बनाकर, आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा दिए गए कुछ अदालती फैसलों के बाद न्यायाधीशों और न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपमानजनक पोस्ट किए।
वहीं मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की टिप्पणी उस समय की गई जब शीर्ष अदालत ने झारखंड के जिला न्यायाधीश की हालिया हत्या का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने कुछ नहीं किया है। हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन कोई बदलाव नहीं आया है। कहने के लिए खेद है, यह स्थिति है। शीर्ष न्यायाधीश ने केंद्र से न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए एक लंबित याचिका पर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा था।