अमित जोगी ने अलापा आदिवासी राग,निगम-मंडल में लगाया उपेक्षा का आरोप

कोरबा
निगम,मंडल व आयोगों में नियुक्तियां किए जाने के बावजूद राज्य सरकार ने इन नियुक्तियों में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को दर किनार कर दिया है। इससे इन वर्गों के प्रति सरकार की मंशा को समझा जा सकता है। उक्ताशय के आरोप जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी ने पत्रकार वार्ता में लगाते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है।
 
उन्होंने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि निगम, आयोग, मंडल के विभिन्न पदों पर हुई नियुक्ति में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व राज्य शासन ने नहीं दिया। 38 अध्यक्षों में एक भी एसटी वर्ग से नहीं है। अनुसूचित जनजाति आयोग में एसटी वर्ग से लेना स्वाभाविक है। ऐसे में इन्हें गिनती न करें तो आदिवासी वर्ग से दो लोगों को ही पद से नवाजा गया है। जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार 81 फीसदी आबादी आदिवासियों की है।

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 15 साल में 4 खदानें अंडानी कंपनी को को दिया। लेकिन प्रदेश सरकार ने ढाई साल में ही 10 कोल खदानें अडानी को दे दी। प्रदेश को अडानीगढ़ बनाने की पुरजोर कोशिश सरकार द्वारा हो रही है। अमित ने कहा कि पहले अडानी कंपनी को कोल ब्लॉक देने का विरोध जताया गया। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस शासित प्रदेश सरकार अब इसे ही फायदे पहुंचाने में लगी है। करीब 4 लाख करोड़ रुपए के अनुमानित 6 कोयला खदानों को सरकार में बैठे लोगों ने डील करने के बाद लेमरू एलीफेंट रिजर्व के लिए आरक्षित करीब 4000 वर्ग किलोमीटर को 450 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया। तीन दिनों में इसका प्रस्ताव बनाकर वन विभाग को भेजने कहा। पेसा कानून हटाकर कोल बेयरिंग एक्ट लाया जाता है प्रदेश के विभिन्न जिलों के जंगलों में घूम रहे 400 हाथियों के लिए क्षेत्र का यह दायरा बहुत कम है।