18 साल बाद फिर मिला मंकीपॉक्स वायरस, टेक्सास में नाइजीरिया से लौटे व्यक्ति में मिला दुर्लभ वायरस

वाशिंगटन
कोरोना महामारी के बीच नए तरह के वायरस हालात को और खराब कर रहे हैं। अमेरिका के टेक्सास में रहने वाले एक व्यक्ति में आठ जुलाई को नाइजीरिया से लौटने के बाद दुर्लभ मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि हुई है।

सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंश (सीडीसी) ने बताया कि मरीज को डलास काउंटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसकी हालत स्थिर है। डलास काउंटी के जज क्ले जेनकिन्स ने बताया कि जो मामला सामने आया है उससे घबराने की जरूरत नहीं है, आमजन को अभी इससे कोई खतरा नहीं है।

सीडीसी ने बताया कि मंकीपॉक्स वायरस अमेरिका में वर्ष 2003 के बाद से नहीं मिला था। मंकीपॉक्स, स्मॉल पॉक्स से मिलता जुलता है जो दुनियाभर में वर्ष 1980 में खत्म हो गया था। इन दोनों ही बीमारियों में शरीर पर चकते पड़ते थे जो महीनों तक रहते थे।

अमेरिका में वर्ष 2003 में कुत्तों से 47 लोग इस वायरस की चपेट में आए थे। किसी की मौत नहीं हुई थी। ये वायरस भी इन्सानों से इन्सानों तक खांसने, छींकने या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों के जरिये फैल सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्रमित जिस फ्लाइट में था उस फ्लाइट में अधिकतर लोगों ने कोरोना के डर से मास्क पहना था इस कारण इसके फैलने की संभावना कम है।

मंकीपॉक्स की चपेट में आने वाले व्यक्ति में लक्षण आने में सात से 14 दिन का वक्त लगता है। सीडीसी के अनुसार इसमें भी लक्षण दूसरे वायरस की तरह ही होते हैं। आमतौर पर इसमें भी थकान, बुखार, सिर में दर्द और मांसपेशी में दर्द जैसी तकलीफ होती है। कुछ समय बाद व्यक्ति के शरीर पर चकते या घाव बन जाते हैं जो पूरे शरीर में फैल जाता है। इसकी चपेट में आने वाले मरीजों को स्वस्थ होने में एक माह लग सकते हैं।