तालिबान के डर से घर छोड़ दूसरे देश जाना चाहते हैं नागरिक 

अफगानिस्तान
अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर पूरी दुनिया मे चिंता है, लेकिन काबुल और आसपास के इलाकों में विरोधाभासी माहौल है। एक तरफ बड़ी संख्या में बेखौफ नागरिक ईद उल-अजहा यानी बकरीद की तैयारियां अभी से कर रहे हैं। वहीं, बहुत से परिवार हैं जो तालिबान के कब्जे के डर से अपना घर बार छोड़कर अफगानिस्तान से बाहर किसी अन्य मुल्क में शरण चाहते हैं। ‘हिंदुस्तान’ ने फोन पर अफगानिस्तान में रह रहे कुछ स्थानीय पत्रकार, आम लोग व कूटनीतिक हलके से जुड़े लोगों से बात कर तालिबान के संघर्ष के बीच जमीनी स्थिति की टोह लेने का प्रयास किया।

काबुल से 15 किलोमीटर दूर अपने गांव में रह रहे स्थानीय पत्रकार जुबैर बबकरखली ने कहा कि लोग कोविड का असर कुछ कम होने के बाद ईद की तैयारी में जुटे हैं। नए कपड़े सिलवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा हां डर और आशंका चारो तरफ है कि कहीं तालिबान काबुल में भी कब्जा न कर ले। जुबैर ने कहा कि ज्यादातर नहीं लेकिन बहुत से परिवार हैं जो तालिबान से चल रही लड़ाई की वजह से कही सुरक्षित जगह दूसरे देश जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, अगर हालात बिगड़े तो मैं खुद भी बाहर जाना चाहूंगा।

 जुबैर ने कहा उत्तरी अफगानिस्तान, दक्षिणी अफगानिस्तान और पूर्वी अफगानिस्तान के जिन इलाकों में संघर्ष हो रहा है। वहां से लोग अपना घर बार,अपने सामान, पशु सब छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की तलाश में पलायन कर रहे हैं। लेकिन मध्य अफगानिस्तान और काबुल में जहां अभी लड़ाई नहीं हो रही लोग अपना सामान्य कामकाज कर रहे हैं।