छत्तीसगढ़ के निदेशक देशी विलुप्त धान की बारीकियां परखने पहुंचे किसान श्यामलाल राठौर के घर

बहेराडीह
छत्तीसगढ़ राज्य के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुख व इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के निदेशक डॉ एस के मुखर्जी ने जिले में रेस्टोरेशन फाउंडेशन के मार्गदर्शन में देशी विलुप्त धान की खेती करने वाले 74 साल के प्रगतिशील किसान श्यामलाल राठौर के घर बिरगहनी  पहुंचे और छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं बल्कि भारत में विलुप्त हो रहे देशी किस्म की धान के संग्रहण संवर्धन व उसके खेती की परम्परागत तरीकों का बारीकियो से अवगत हुए।

इस दौरान जिले के प्रगतिशील किसान पुरषोत्तम शर्मा दुष्यंत सिंह ठाकुर रामप्रकाश केशरवानी दीनदयाल यादव अमित कुमार तिवारी महिला कृषक श्रीमती पुष्पा यादव व जैविक कृषि को राज्य में बढ़ावा देने वाली संस्था के सीईओ जे बसवराज से मुलाकात की। इस अवसर पर कृषक श्यामलाल राठौर ने बताया कि राज्य के कई किसानों व संस्थाओं के सहयोग से विलुप्त हो रही देशी धान का संग्रहण व संवर्धन के उद्देश्य से 21 अलग अलग किस्मो की धान की खेती शुरू की गई है। यह खेती पूर्णत: जैविक पद्धति से ही होगा। उन्होंने बताया कि देशी धान हो या फिर कोई भी देशी बीज की फसल हो। उसमें अत्यधिक पोषक तत्व के साथ साथ कई तरह की औषधीय गुण विद्यमान हैं। जिसकी खेती की शुरूआत हमारे पूर्वजों ने किया था। उस धरोहर को हम सभी किसानों ने बचाने का अभियान शुरू किया है। जबकि हाईब्रिड कोई भी बीज में न तो पोषक तत्व है और न ही किसी तरह की औषधीय गुण। बल्कि बीमारियों की जड़ माना गया है। फिर भी अधिक मात्रा में पैदावार लेने के होड़ में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होने लगी है। इससे मानव जीवन पर दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। जिस पर प्रतिबंध लगाने की सख्त जरूरत है।

डॉ मुखर्जी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर विस्तार सेवाएं निदेशक डॉ मुखर्जी ने कहा कि जिले में कृषि क्षेत्र में एक और अलग ही प्रकार की गतिविधियां शुरू किया गया है। जो निश्चित ही सराहनीय है। देशी किस्म की धान की खेती को बढ़ावा देने में हमारे यहाँ के कृषि विज्ञान केंद्र की सभी वैज्ञानिक किसानों के साथ है।